अफगानिस्तान में भूकंप से मची तबाही, फोटो (सो. सोशल मीडिया )
Afghanistan Earthquake: अफगानिस्तान में आए भयंकर भूकंप के बाद राहत कार्यों में कई कठिनाइयां सामने आ रही हैं। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार, भूकंप से प्रभावित प्रांतों में मानवीय सहायता देने वाले कार्यकर्ताओं को संचार और संपर्क बनाए रखने में गंभीर दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। इसी बीच, अफगानिस्तान में रहने वाले हिंदू और सिख समुदाय ने पीड़ितों की मदद के लिए आगे बढ़कर राहत सामग्री पूर्वी प्रांतों में भेजी है।
अफगानिस्तान के सिख और हिंदू समुदाय ने भूकंप प्रभावितों की मदद के लिए विदेशों में रहने वाले अपने साथियों और विश्व हिंदू संघ के सहयोग से राहत सामग्री भेजी है। यह जानकारी काउंसिल ऑफ हिंदू एंड सिख माइनॉरिटीज ऑफ अफगानिस्तान के अध्यक्ष मंजीत सिंह लांबे ने स्थानीय मीडिया को दी।
भूकंप से प्रभावित शहरों में जलालाबाद भी शामिल है, जो ऐतिहासिक रूप से सिखों के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यहां गुरुद्वारा गुरु नानक दरबार स्थित है। वर्तमान में अफगानिस्तान में सिख और हिंदू समुदाय की सही संख्या स्पष्ट नहीं है। यूरोपीय संघ की शरणार्थी एजेंसी के अनुसार, 1970 के दशक में अफगानिस्तान में इनकी संख्या सात लाख से अधिक थी, जबकि 2021 तक यह केवल लगभग 150 तक घट गई थी।
2019 में अब भंग हो चुके अफगानिस्तान के स्वतंत्र निर्वाचन आयोग के अनुसार, देश में कुल 1,105 सिख और हिंदू मतदाता दर्ज थे। इनमें से 759 मतदाता काबुल में, 342 नंगरहार प्रांत में और केवल चार मतदाता हेलमंद प्रांत में थे।
संयुक्त राष्ट्र के अधिकारी संकेत दे रहे हैं कि भूकंप से प्रभावित होने वालों की संख्या सैकड़ों से लेकर हजारों तक हो सकती है। रविवार को आए भूकंप के बाद पहले 24 घंटे में राहत और बचाव कार्यों तक पहुंच बेहद कठिन और सीमित रही। भूकंप के कारण हुए भूस्खलन और चट्टानों के गिरने से बचाव कार्य बाधित हुए। हाल की भारी बारिश के कारण पहले से ही कुछ सड़कें भूस्खलन से अवरुद्ध थीं।
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क्षेत्र में भूकंप के बाद कई आफ्टरशॉक्स महसूस किए गए। रविवार को पाकिस्तान की सीमा के पास 6.0 तीव्रता का मुख्य भूकंप आया, और इसके दो दिन बाद मंगलवार को 5.2 तीव्रता का एक और झटका आया। सहायता में कटौती और प्रतिबंधों का सामना कर रहे तालिबान प्रशासन ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से मदद की गुहार लगाई है।
अब तक 40 देशों ने काबुल से संपर्क किया है, लेकिन केवल रूस ने ही तालिबान को मान्यता दी है। भारत ने पहले ही 1,000 तंबू और 15 टन खाद्य सामग्री भेजकर मानवीय मदद प्रदान की है। नई दिल्ली ने काबुल को दवाइयों और खाद्य सामग्री की निरंतर आपूर्ति जारी रखने का भरोसा दिया है।
(एजेंसी इनपुट के साथ)