NATO का बड़ा वार प्लान, फोटो ( सो. सोशल मीडिया )
ब्रसेल्स: यूक्रेन पर पिछले तीन वर्षों से जारी युद्ध में रूस की बढ़ती पकड़ के जवाब में नाटो ने अब कड़ा कदम उठाने की तैयारी कर ली है। रूस के खिलाफ एक मजबूत रणनीति बनाने के संकेत देते हुए नाटो ने अपने मुख्यालय में 30 सदस्य देशों के रक्षा मंत्रियों की एक अहम बैठक बुला ली है। इस बैठक का नेतृत्व ब्रिटेन और फ्रांस कर रहे हैं, जिन्होंने गुरुवार को लगभग 30 देशों के रक्षा प्रमुखों को इस चर्चा के लिए आमंत्रित किया है।
नाटो ने कहा है कि वह यूक्रेन में संभावित सैन्य तैनाती की योजना पर विचार कर रहा है, जिसका उद्देश्य भविष्य में रूस के साथ होने वाले किसी भी शांति समझौते की निगरानी करना है। यह बैठक नाटो मुख्यालय में आयोजित की जाएगी और इसमें गठबंधन से जुड़े देशों के रक्षा मंत्री पहली बार एक साथ शामिल होंगे। बीते सप्ताह ब्रिटेन और फ्रांस के वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों ने कीव का दौरा किया था, और उसी के बाद इस बैठक का आयोजन किया जा रहा है। माना जा रहा है कि इस बैठक में पहले हुए समझौतों को अमल में लाने पर चर्चा की जाएगी।
शुक्रवार को नाटो मुख्यालय में लगभग 50 देशों के प्रतिनिधि यूक्रेन को सैन्य सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से एकत्रित होंगे। इस बैठक का नेतृत्व ब्रिटेन और जर्मनी करेंगे। अमेरिका इस बैठक में शामिल नहीं होगा और ये उम्मीद जताई जा रही है कि अमेरिकी रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ इस बैठक में भाग नहीं लेंगे। उधर, यूक्रेन के सरकारी अधिकारियों और सैन्य विशेषज्ञों का मानना है कि रूस आने वाले हफ्तों में यूक्रेन पर नया सैन्य हमला शुरू करने की तैयारी कर रहा है, ताकि कीव पर दबाव बढ़ाया जा सके और युद्धविराम वार्ता में क्रेमलिन की स्थिति को मज़बूत किया जा सके।
गठबंधन की बैठकों में हमेशा की तरह इस बार भी संयुक्त राज्य अमेरिका हिस्सा नहीं लेगा, लेकिन अभियान की सफलता अमेरिकी हवाई शक्ति या अन्य सैन्य सहायता पर निर्भर करती है। हालांकि, ट्रम्प प्रशासन ने अब तक यह स्पष्ट नहीं किया है कि वह ऐसा समर्थन देगा या नहीं।
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इस स्थिति की अनिश्चितता और अमेरिका द्वारा यूरोप को यह चेतावनी दिए जाने के बीच कि भविष्य में उसे स्वयं और यूक्रेन की सुरक्षा की जिम्मेदारी उठानी होगी, इस सैन्य कार्रवाई को महाद्वीप की ओर से अपनी सुरक्षा और हितों की रक्षा करने की इच्छाशक्ति की पहली बड़ी कसौटी के रूप में देखा जा रहा है।
रिपोर्ट के अनुसार, इसका आकार और स्थान किसी भी संभावित शांति समझौते की शर्तों पर निर्भर करेगा, लेकिन यह संभावना नहीं है कि इस टुकड़ी को रूस-यूक्रेन सीमा पर तैनात किया जाएगा। इसकी तैनाती युद्ध विराम रेखा से काफी दूर, संभवतः यूक्रेन के बाहर की जा सकती है, ताकि यह किसी भी रूसी आक्रमण की स्थिति में प्रतिक्रिया देने में सक्षम हो।