सुप्रीम कोर्ट (फोटो- सुप्रीम कोर्ट वेबसाइट)
नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में हुई हिंसा की स्वतंत्र जांच की मांग वाली याचिकाओं पर विचार करने से इनकार कर दिया। इसके साथ ही दोनों वकीलों से अपनी याचिकाएं वापस लेने और बेहतर याचिकाएं दायर करने के निर्देश दिए हैं।
सुप्रीम कोर्ट में दायर इस याचिका में एडवोकेट शशांक शेखर झा ने कहा था कि हिंसा की जांच अदालत की निगरानी में की जाए। इतना ही सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में पांच सदस्यों वाले न्यायिक जांच आयोग के गठन की मांग भी की गई है। इस मामले की सुनावाई जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एनके सिंह की बेंच कर रही थी।
Supreme Court refuses to entertain petitions seeking independent probe into the violence in West Bengal’s Murshidabad district during a protests against the Waqf (Amendment) Act, 2025 and asks the two advocates to withdraw their pleas and file better petitions. pic.twitter.com/2AtiqjwbDm
— ANI (@ANI) April 21, 2025
सुप्रीम कोर्ट से याचिका में की गईं थी ये मांगे
सुप्रीम कोर्ट में दायर इस याचिका में ममता सरकार को वक्फ कानून के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान झड़पों/दंगों पर स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश देने की डिमांड की गई थी। इसके साथ ही हेट स्पीच पर कार्रवाई और रोक की अपील की गई थी। याचिका में कहा गया था कि मुर्शिदाबाद हिंसा में मारे गए लोगों और पीड़ितों को पर्याप्त मुआवजा भी दिलवाया जाए।
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AIMPLB का ऐलान, 87 दिन का ‘वक्फ बचाओ अभियान’
वहीं, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने वक्फ अधिनियम के खिलाफ 87 दिन के विरोध अभियान की शुरुआत कर दी है। 11 अप्रैल से शुरू हुआ यह अभियान 7 जुलाई तक चलेगा। इस दौरान 1 करोड़ लोगों के हस्ताक्षर जुटाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सौंपे जाएंगे। उसके बाद आंदोलन के अगले चरण की रणनीति बनाई जाएगी।