तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के बड़े नेता अब्दुर रहीम बख्शी, फोटो- सोशल मीडिया
Trinamool Congress के मालदा जिला अध्यक्ष अब्दुर रहीम बख्शी ने हाल ही में एक जनसभा में भाजपा विधायक शंकर घोष को कथित तौर पर तेजाब फेंकने की धमकी दी। यह बयान उस वक्त आया जब बख्शी अन्य राज्यों में बंगाली प्रवासी मजदूरों पर हो रहे “अत्याचारों” को लेकर अपनी पार्टी के कार्यक्रम में बोल रहे थे।
बख्शी ने बिना नाम लिए भाजपा विधायक शंकर घोष पर तीखा हमला किया और आरोप लगाया कि घोष ने पहले विधानसभा में बंगाल के प्रवासी मजदूरों को “रोहिंग्या” या “बांग्लादेशी” कहा था। बख्शी ने कहा, “अगर मैं तुमसे यह दोबारा सुनूंगा कि हमारे प्रवासी भाई रोहिंग्या या बांग्लादेशी हैं, तो मैं तुम्हारे मुंह में तेजाब डालकर तुम्हारी आवाज जला दूंगा। यह पश्चिम बंगाल है, हम तुम्हें बोलने की जगह नहीं देंगे।”
बख्शी ने आगे कहा कि बीजेपी के झंडे फाड़ दो और पार्टी का सामाजिक बहिष्कार करो। उन्होंने खुले तौर पर आक्रामक रुख अपनाते हुए कहा कि टीएमसी कार्यकर्ता अब चुप नहीं बैठेंगे। भाजपा ने इस बयान की तीव्र निंदा करते हुए इसे “टीएमसी की हिंसक और डराने-धमकाने वाली राजनीति” का उदाहरण बताया।
भाजपा सांसद खगेन मुर्मू ने नाराजगी दिखाते हुए कहा, “ऐसी भाषा टीएमसी की हताशा दिखाती है। वे चुनाव हारने के डर से अब खुलेआम धमकी देने पर उतर आए हैं। ये लोग समाज में डर फैलाना चाहते हैं।” भाजपा ने मालदा जिले में विरोध प्रदर्शन भी किया और आरोप लगाया कि भाजपा कार्यकर्ताओं पर झूठे मामले दर्ज किए जा रहे हैं।
दिलचस्प बात यह है कि बख्शी का यह भड़काऊ बयान उस समय आया है जब खुद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अपनी पार्टी के नेताओं को बार-बार संयम बरतने की नसीहत दे चुकी हैं। हाल ही में एक चुनावी समीक्षा बैठक में ममता ने स्पष्ट तौर पर कहा था कि गैर-जिम्मेदाराना बयान पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचाते हैं। नेता बयान देने से पहले सोचें। फिर भी, बख्शी जैसे वरिष्ठ जिलास्तरीय नेताओं द्वारा खुलेआम तेजाब फेंकने की धमकी देना, पार्टी नेतृत्व की चेतावनियों को धता बताने जैसा है।
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राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि बंगाल में आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर टीएमसी और भाजपा के बीच तनाव लगातार बढ़ रहा है। इस तरह के बयान न सिर्फ राजनीतिक ध्रुवीकरण को बढ़ावा देते हैं, बल्कि पार्टी कार्यकर्ताओं को “एग्रेसिव मोड” में लाने का तरीका भी हो सकते हैं। राजनीतिक एक्सपर्ट की मानें तो लोकतंत्र में इस तरह की धमकी की कोई जगह नहीं होनी चाहिए। चाहे वह किसी भी पार्टी से हो, हिंसा और जहरीली भाषा का इस्तेमाल समाज में जहर घोलने का काम करता है।