
अमित मालवीय , फोटो- सोशल मीडिया
SIR in West Bengal: मुख्य चुनाव आयुक्त द्वारा पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) की घोषणा के बाद राजनीतिक घमासान मच गया है। बीजेपी आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने दावा किया कि अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी डर के मारे राज्य छोड़ रहे हैं और बांग्लादेश भाग गए हैं।
अमित मालवीय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर एक मीडिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए लिखा कि यह ममता बनर्जी का ‘वोटबैंक’ है, जो एसआईआर की घोषणा के बाद भाग रहा है। मालवीय ने दावा किया कि एसआईआर की घोषणा के तुरंत बाद उत्तर 24 परगना जिले में एक असामान्य स्थिति पैदा हो गई है।
अमित मालवीय के अनुसार, बिराती, बिशरपारा और आसपास के इलाकों में बड़ी संख्या में घरों में काम करने वाली महिलाएं अचानक गायब हो गई हैं। मालवीय ने एक महिला, जिसे ‘रहीमा की मां’ के नाम से जाना जाता था, का उदाहरण दिया। यह महिला बिराती में 25 साल से ज्यादा समय से काम कर रही थी, लेकिन एसआईआर की घोषणा के तुरंत बाद गायब हो गई और पूछताछ पर पता चला कि वह बांग्लादेश भाग गई है।
जिले के कई घरों से इसी तरह की खबरें आ रही हैं। कुछ गायब हुए लोगों ने तो यह स्वीकार भी किया कि वे ‘बांग्लादेश लौट रहे हैं’ और हालात ठीक होने के बाद ही वापस आएंगे। अमित मालवीय ने इस स्थिति के लिए सीपीएम और तृणमूल कांग्रेस को निशाने पर लिया। उन्होंने आरोप लगाया कि सालों तक सीपीएम और तृणमूल सरकारों ने बंगाल की धरती पर इन अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी घुसपैठियों को पनाह और राजनीतिक संरक्षण भी दिया।
अमित मालवीय ने तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि अब, जैसे ही एसआईआर की प्रक्रिया शुरू हुई है, ये लोग अपना बोरिया-बिस्तर समेट रहे हैं, क्योंकि इस बार ममता बनर्जी उनकी रक्षा नहीं कर पाएंगी। मालवीय ने स्पष्ट किया कि भारत में अवैध रूप से रह रहे विदेशी नागरिकों के लिए कोई स्थान नहीं है और निश्चित रूप से मतदाता सूची में भी नहीं है।
आपको बता दें कि पिछले हफ्ते मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने पश्चिम बंगाल सहित 12 राज्यों के लिए एसआईआर की घोषणा की थी। तीन चरणों वाली इस संशोधन प्रक्रिया का पहला चरण पश्चिम बंगाल में 4 नवंबर से शुरू होगा।
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तृणमूल कांग्रेस लगातार एसआईआर का विरोध कर रही है। भाजपा का दावा है कि टीएमसी को डर है कि अवैध रूप से रहने वाले बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठियों, जो उनका ‘वोट बैंक’ हैं, के नाम मतदाता सूची से हटा दिए जाएंगे। जबकि, टीएमसी का दावा है कि एसआईआर पश्चिम बंगाल में एनआरसी लागू करने के लिए केंद्र सरकार और भाजपा की एक चाल है।






