
जेलों में छिपकलियों का नशा कर रहे कैदी (कॉन्सेप्ट फोटो-एआई)
Prisoners in Jail Lizard Drug Trend: पंजाब से एक ऐसी अजीबोगरीब और हैरान कर देने वाली खबर सामने आई है जिसने जेल प्रशासन की नींद उड़ा दी है। नशा करने के लिए बदनाम यहां की जेलों में अब ड्रग्स नहीं मिलने पर कैदी छिपकलियों की जान के दुश्मन बन गए हैं। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे दावों के मुताबिक, कैदी छिपकली की पूंछ काटकर, उसे सुखाकर बीड़ी या तंबाकू में मिलाकर नशा कर रहे हैं। इस ‘इंस्टेंट नशे’ के चक्कर में जेल की दीवारों से छिपकलियां गायब होने लगी हैं, जिससे जेलर भी भारी टेंशन में आ गए हैं।
यह खबर सुनने में भले ही किसी कोरी अफवाह जैसी लगे, लेकिन मेडिकल और क्रिमिनोलॉजी की केस स्टडीज ने इसकी पुष्टि कर दी है। जेलों में ड्रग्स की तस्करी रोकने के लिए किए गए सख्त इंतजामों के बाद, नशे के आदी कैदियों ने यह खौफनाक और घिनौना वैकल्पिक रास्ता ढूंढ निकाला है। साल 2023 के एक सरकारी सर्वे के आंकड़े बताते हैं कि पंजाब की जेलों में 42 प्रतिशत कैदी नशे के आदी हैं। जब उन्हें चरस, हेरोइन या स्पिरिट जैसी चीजें आसानी से नहीं मिलतीं, तो वे जेल परिसर में मिल जाने वाली छिपकलियों, खासकर इंडियन स्पाइनी-टेल्ड लिजर्ड को अपना निशाना बनाते हैं।
पटियाला के राजिंदरा हॉस्पिटल में 2014 में सामने आया एक केस सबसे ज्यादा चर्चित रहा था। 15 साल से कैनबिस के आदी एक 25 साल के कैदी ने कबूला था कि ड्रग्स न मिलने पर साथियों ने उसे छिपकली का यह तरीका सिखाया था। वे छिपकली को जलाकर उसकी राख बीड़ी में भरते थे, जिससे कैनबिस जैसा नशा होता था। वहीं, रोहतक के पीजीआईएमएस में 2013 में एक और केस आया था, जहां एक कैदी ने छिपकली की पूंछ का पाउडर बनाकर खा लिया था, जिससे उसे 10-12 घंटे तक नशा रहा। डॉक्टरों ने इसे ‘अनकन्वेंशनल साइकोएक्टिव सब्सटेंस’ करार दिया, जो हेलुसिनेशन यानी भ्रम और सुन्नता पैदा करता है।
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पंजाब को अक्सर नशे के कारण ‘उड़ता पंजाब’ कहा जाता है और यहां के आंकड़े डराने वाले हैं। 2023 में 8,000 से ज्यादा कैदियों का ड्रग टेस्ट हुआ, जिसमें 42 प्रतिशत पॉजिटिव मिले। अमृतसर जेल में 1900 में से 900 और बठिंडा में 1673 में से 647 कैदी एडिक्ट पाए गए। नशे की तलब मिटाने के लिए कैदी अब सांप के जहर और बिच्छू के डंक तक का इस्तेमाल करने लगे हैं। छिपकली की पूंछ का इस्तेमाल इसलिए भी बढ़ा है क्योंकि पूंछ दोबारा उग आती है, जिससे उन्हें बार-बार नशा करने का मौका मिल जाता है। फिलहाल प्रशासन जेल की दीवारों से छिपकलियां हटाने में जुटा है।






