भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स समेत चार अंतरिक्ष यात्री, नासा और स्पेसएक्स के स्पेसक्राफ्ट ‘ड्रैगन’ से सफलतापूर्वक धरती पर लौट आए हैं। उनके साथ बुच विल्मोर और दो अन्य अंतरिक्ष यात्री भी शामिल थे। यह यात्रा अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन से शुरू हुई और लगभग 17 घंटे बाद फ्लोरिडा के तट के पास समुद्र में लैंडिंग के साथ संपन्न हुई। स्पेसX ड्रैगन कैप्सूल के 17 घंटे लंबे मिशन में एक ऐसा भी क्षण आया, जिसने सभी की धड़कनें तेज कर दीं। यह वह 10 मिनट थे जब मिशन कंट्रोल सेंटर और कैप्सूल के बीच संचार पूरी तरह से टूट गया। इसे ‘कम्युनिकेशन ब्लैकआउट’ कहा जाता है। यह दौर इसलिए बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि किसी भी मिशन के सबसे संवेदनशील चरणों में से एक होता है। आइए जानते हैं कि कम्युनिकेशन ब्लैकआउट क्या होता है और यह क्यों इतना अहम माना जाता है।
भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स समेत चार अंतरिक्ष यात्री, नासा और स्पेसएक्स के स्पेसक्राफ्ट ‘ड्रैगन’ से सफलतापूर्वक धरती पर लौट आए हैं। उनके साथ बुच विल्मोर और दो अन्य अंतरिक्ष यात्री भी शामिल थे। यह यात्रा अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन से शुरू हुई और लगभग 17 घंटे बाद फ्लोरिडा के तट के पास समुद्र में लैंडिंग के साथ संपन्न हुई। स्पेसX ड्रैगन कैप्सूल के 17 घंटे लंबे मिशन में एक ऐसा भी क्षण आया, जिसने सभी की धड़कनें तेज कर दीं। यह वह 10 मिनट थे जब मिशन कंट्रोल सेंटर और कैप्सूल के बीच संचार पूरी तरह से टूट गया। इसे ‘कम्युनिकेशन ब्लैकआउट’ कहा जाता है। यह दौर इसलिए बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि किसी भी मिशन के सबसे संवेदनशील चरणों में से एक होता है। आइए जानते हैं कि कम्युनिकेशन ब्लैकआउट क्या होता है और यह क्यों इतना अहम माना जाता है।