झारखंड के आदिवासी इलाकों के सरना धर्म कोड पर हिमंता बिस्वा सरमा ने पार्टी का पक्ष रखा है। सरना धर्म कोड पर टिप्पणी करते हुए कांग्रेस को आड़े हाथों लिया, इसे विलेन करार देकर आगामी चुनावों में बीजेपी की सफलता का दावा किया। आदिवासी इलाकों में हजारों साल से दूसरा धर्म नहीं होता है। वे प्रकृति पूजा को ही अपना धर्म मानते हैं। पूजा स्थल को सरना कहा जाता है। लाल रंग वाला झंडे लगाने वाले लोग इस सरना धर्म को मानते हैं। झारखंड में लगभग 27 फीसद आबादी वाले आदिवासी अथवा जनजातीय समुदाय का पवित्र प्रतीक चिन्ह है। इसे सरना झंडा कहा जाता है। सरना आदिवासियों के पूजा स्थल को भी कहा जाता है, जहां वे अपनी मान्यताओं के अनुसार विभिन्न त्योहारों के मौके पर एकत्रित होकर पूजा-अर्चना करते हैं।
झारखंड के आदिवासी इलाकों के सरना धर्म कोड पर हिमंता बिस्वा सरमा ने पार्टी का पक्ष रखा है। सरना धर्म कोड पर टिप्पणी करते हुए कांग्रेस को आड़े हाथों लिया, इसे विलेन करार देकर आगामी चुनावों में बीजेपी की सफलता का दावा किया। आदिवासी इलाकों में हजारों साल से दूसरा धर्म नहीं होता है। वे प्रकृति पूजा को ही अपना धर्म मानते हैं। पूजा स्थल को सरना कहा जाता है। लाल रंग वाला झंडे लगाने वाले लोग इस सरना धर्म को मानते हैं। झारखंड में लगभग 27 फीसद आबादी वाले आदिवासी अथवा जनजातीय समुदाय का पवित्र प्रतीक चिन्ह है। इसे सरना झंडा कहा जाता है। सरना आदिवासियों के पूजा स्थल को भी कहा जाता है, जहां वे अपनी मान्यताओं के अनुसार विभिन्न त्योहारों के मौके पर एकत्रित होकर पूजा-अर्चना करते हैं।