उत्तराखंड पंचायत चुनाव की तारीख का ऐलान (कॉन्सेप्ट फोटो)
देहरादून: उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। राज्य निर्वाचन आयोग ने शनिवार, 21 जून को चुनाव कार्यक्रम की घोषणा करते हुए बताया कि प्रदेश के 12 जिलों में दो चरणों में मतदान कराया जाएगा। पहले चरण का मतदान 10 जुलाई और दूसरे चरण का मतदान 15 जुलाई को होगा। वहीं, मतगणना की प्रक्रिया 19 जुलाई को की जाएगी। हरिद्वार जिले को छोड़ शेष जिलों में चुनाव होंगे।
राज्य निर्वाचन आयुक्त सुशील कुमार ने जानकारी देते हुए कहा कि पंचायत चुनाव को लेकर अधिसूचना जारी कर दी गई है। इसके साथ ही राज्य में आदर्श आचार संहिता भी लागू हो गई है। नामांकन प्रक्रिया 25 जून से शुरू होकर 28 जून तक चलेगी। नामांकन पत्रों की जांच 29 जून से 1 जुलाई तक होगी और चुनाव चिन्हों का आवंटन 3 जुलाई को किया जाएगा। मतदान पूरी तरह शांतिपूर्ण और पारदर्शी ढंग से कराने की तैयारी की जा रही है।
66 हजार से अधिक पदों पर होगा चुनाव
इन पंचायत चुनावों के अंतर्गत राज्य के 89 विकासखंडों और 7,499 ग्राम पंचायतों में चुनाव होंगे। कुल 66,418 पदों के लिए मतदान कराया जाएगा। इनमें से 55,587 पद सदस्य ग्राम पंचायत के, 7,499 पद प्रधान ग्राम पंचायत के, 2,974 पद सदस्य क्षेत्र पंचायत के और 358 पद सदस्य जिला पंचायत के होंगे। हरिद्वार को छोड़कर सभी जिलों में यह चुनाव प्रक्रिया लागू होगी।
कुल मतदाता 47.77 लाख, मतदान केंद्रों की संख्या 8,276
उत्तराखंड के इन 12 जिलों में कुल 47,77,072 मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। इनमें 24,65,702 पुरुष, 23,10,996 महिला और 374 अन्य मतदाता शामिल हैं। चुनाव आयोग ने राज्यभर में 8,276 मतदान केंद्र और 10,529 मतदान स्थल बनाए हैं। मतदाताओं की सुविधा और सुगमता के लिए आयोग ने व्यापक सुरक्षा और व्यवस्थाएं सुनिश्चित की हैं।
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वहीं मतपत्रों के रंग को लेकर भी स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। ग्राम पंचायत सदस्य के लिए सफेद, ग्राम प्रधान के लिए हरे, क्षेत्र पंचायत सदस्य के लिए नीले और जिला पंचायत सदस्य के लिए गुलाबी रंग के मतपत्र इस्तेमाल किए जाएंगे। राज्य निर्वाचन आयोग ने मतदाताओं से शांतिपूर्वक और लोकतांत्रिक तरीके से चुनाव प्रक्रिया में भाग लेने की अपील की है। उत्तराखंड में पंचायत चुनाव का बिगुल बज चुका है। दो चरणों में मतदान और 19 जुलाई को नतीजों की घोषणा से पहले राज्य के ग्रामीण इलाकों में चुनावी सरगर्मी तेज हो चुकी है। यह चुनाव न केवल स्थानीय नेतृत्व को चुनने का अवसर है, बल्कि जमीनी विकास की दिशा तय करने का भी मंच बनेगा।