(फोटो सोर्स सोशल मीडिया)
देहरादून : साहित्यकार के रूप में भी अपनी खास पहचान रखने वाले उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने देहरादून के निकट सुरम्य हिमालयी क्षेत्र थाने में एक ‘लेखक गांव’ विकसित किया है। सुनने में आपको ये नाम अनोखा लग रहा होगा लेकिन इस गांव को विकसित करने का मकसद यहां लेखकों को साहित्य सृजन के लिए शांत एवं रचनाशील वातावरण मुहैया कराना है।
यह गांव देहरादून से 24 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने बताया कि देश के अपनी तरह के इस पहले ‘लेखक गांव’ का उद्घाटन कल शुक्रवार को पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उत्तराखंड के राज्यपाल ले. जन. गुरमीत सिंह (सेवानिवृत्त) और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी संयुक्त रूप से करेंगे।
यह उदघाटन समारोह यहां तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय साहित्य, कला और संस्कृति महोत्सव के रूप में मनाया जाएगा। इस दौरान यहां केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड के अध्यक्ष प्रसून जोशी समेत प्रख्यात लेखिका ममता कालिया जैसे कई दिग्गज जुटेंगे। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने बताया कि इस कार्यक्रम में लगभग 65 देशों के लोग शामिल होंगे जिनमें से 40 देशों के लोग प्रत्यक्ष तौर पर शामिल होंगे। इन देशों से आने वाले लोगों में ऐसे छात्र भी शामिल रहेंगे जो लेखकों से जुड़ना चाहते हैं। तीन दिनों तक चलने वाले इस कार्यक्रम के दौरान यहां 30 सत्र आयोजित होंगे जिनमें लेखन, संस्कृति, प्रकृति और कला से जुड़े विषयों पर चर्चा की जाएगी। पूर्व केंद्रीय मंत्री कहा, ‘हिमालय हमेशा प्रेरणा का केंद्र रहा है और इस धरती में कोई तो ऐसी बात है कि लोगों ने यहां से प्रेरणा लेकर दुनिया में अपना नाम किया।’
आज लेखक गांव, देहरादून में आयोजित हो रहे स्पर्श हिमालय महोत्सव 2024 (अंतर्राष्ट्रीय साहित्य, संस्कृति एवं कला सम्मेलन) के विषय पर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर पत्रकार बंधुओं को संबोधित किया।@lekhakgaon pic.twitter.com/mOrZLDCuXe
— Dr. Ramesh Pokhriyal Nishank (@DrRPNishank) October 24, 2024
इस गांव को विकसित करने को लेकर मिली प्रेरणा के बारे में पूर्व मुख्यमंत्री निशंक ने कहा कि इसका जन्म पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की ‘पीड़ा’ से हुआ है। उन्होंने कहा, ‘अटलजी के मन में इस बात की बहुत पीड़ा थी कि इस देश में लेखकों का सम्मान नहीं है। उन्होंने उदाहरण दिया था कि यहां श्याम नारायण पांडे और सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जैसे लोगों की जीवन के अंतिम क्षणों में बहुत दुर्दशा हुई थी। एक बार उन्होंने कहा था कि क्या कभी कोई इस दिशा में सोचेगा।’ पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि न केवल दुनियाभर के साहित्यकार यहां आकर जो सृजन करेंगे, उसे यहां छापा जाएगा बल्कि जिनका कोई नहीं है, वे यहां आकर अपने जीवन के अंतिम क्षणों में स्वाभिमान से रह सकेंगे।
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बात करें इस खास लेखक गांव की तो यहां लाइब्रेरी, मेडिटेशन और योगा सेंटर, ऑडिटोरियम, हिमालयन म्यूजियम, संजीवनी भोजनालय, नक्षत्र वाटिका और ग्रह वाटिका जैसी कई व्यवस्थाएं होंगी। इन सुविधाओं का लाभ उठाते हुए लेखन यहां रहते हुए साहित्य सृजन का कार्य कर सकेंगे।
(एजेंसी इनपुट के साथ)