-राजेश मिश्र
लखनऊ: किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (Minimum Support Price) दिलाने को लेकर एमएसपी गारंटी मोर्चा देशभर में अभियान चलाकर किसानों को संगठित करेगा और अपनी आवाज बुलंद करेगा। किसान संगठनों (Farmers Organizations) की ओर से गठित एमएसपी गारंटी मोर्चा के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. राजाराम त्रिपाठी (Rajaram Tripathi)ने राजधानी लखनऊ में आयोजित प्रेस वार्ता में कहा कि 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) में किसानों (Farmers) के लिए यह सबसे बड़ा मुद्दा होगा।
देशभर में किसानों को जागरूक और संगठित करने निकले डॉक्टर त्रिपाठी ने कहा कि किसान आंदोलन की समाप्ति पर केंद्र की सरकार ने एमएसपी को लेकर जो वादा किया था उसे अब तक पूरा नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि आज खेती जबरदस्त घाटे का सौदा बन चुकी है और किसानों के बेटे खेती से मुंह मोड़ रहे हैं। डॉक्टर त्रिपाठी ने कहा कि हर साल सब्सिडी को अलग कर दिया जाए तो देश भर के किसानों को पांच लाख करोड़ का घाटा सहना पड़ रहा है। इन हालात में खेती और किसानी कैसे बचेगी यह सोचने का विषय है।
राष्ट्रीय प्रवक्ता ने कहा कि हाल ही में वह उत्तर प्रदेश में बस्ती जिले का दौरा करके लौटे हैं, जहां किसानों ने एमएसपी को लेकर निर्णायक लड़ाई लड़ने पर सहमति जताई है। उन्होंने कहा लखनऊ के बाद वह बुलंदशहर जा रहे हैं जहां किसानों से मुलाकात कर एमएसपी को लेकर आगे की रणनीति बनाएंगे। डॉक्टर त्रिपाठी ने कहा कि उन्होंने तेलंगाना, कर्नाटक, महाराष्ट्र और देश के कई राज्यों में एमएसपी गारंटी को लेकर उन्होंने दौरा किया है और हर जगह किसान लड़ाई लड़ने को एकजुट है।
एमएसपी गारंटी मोर्चा के राष्ट्रीय प्रवक्ता ने कहा किसान संगठनों में इस मुद्दे को लेकर जबरदस्त एकता है। आगामी 2024 लोकसभा चुनाव को लेकर किसान संगठनों ने नारा दिया है कि एमएसपी नहीं तो वोट नहीं। उन्होंने कहा एक किसान इस देश की आत्मा है और वह यह दिखा कर रहेंगे कि उनकी अनदेखी कर कोई भी सरकार सत्ता में नहीं रह सकती। डॉक्टर त्रिपाठी ने कहा कि हालत यह है, कि किसानों को बोतलबंद पानी से भी कम कीमत पर अपनी उपज बेचनी पड़ रही है। इस सब के बाद भी सत्ता प्रतिष्ठानों के कानों पर जूं नहीं रेंग रही है। स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि इसमें एमएसपी की बात कहीं गई थी जिस पर आज तक ध्यान नहीं दिया गया। डॉक्टर त्रिपाठी ने कहा कि खुद वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात का मुख्यमंत्री रहते 2011 में गठित कमेटी की अध्यक्षता करते हुए किसानों को एमएसपी दिए जाने की वकालत की थी और 2014 के लोकसभा चुनाव के ठीक पहले इस मुद्दे पर क्षोभ जताते हुए ट्वीट किए थे।
हालांकि सत्ता में आने के बाद एमएसपी का मुद्दा उनके लिए महत्वहीन हो गया डॉक्टर त्रिपाठी ने कहा इस देश की हालत अमेरिका की तर्ज पर कृषि को पीछे रख उद्योगों को तरजीह देने जैसी हो गई है जो कम से कम भारत जैसे कृषि प्रधान देश के लिए उपयुक्त नहीं है। उन्होंने कहा किसान संगठनों ने ठान लिया है एमएसपी को लेकर अब निर्णायक लड़ाई लड़ी जाएगी और इसे हासिल किए बिना चैन नहीं लिया जाएगा।