अखिलेश यादव, सीएम योगी और मायावती
लखनऊ: राजनीतिक लिहाज से महत्वपूर्ण राज्य उत्तर प्रदेश में जल्द ही भाजपा अपना नया अध्यक्ष घोषित करने वाली है। इसका ऐलान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के दिल्ली दौरे से लौटने के बाद कभी भी किया सकता है। योगी की चली तो सपा-बसपा और कांग्रेस का जवाब देने के लिए संगठन की कमान उर्जावान तथा सबसे अधिक पढ़े-लिखे दलित नेता को मिल सकती है। पहलगाम आतंकी हमला और उसके जवाब में ऑपरेशन सिंदूर की वजह से संगठन चुनाव भी स्थगित कर दिया गया था।
सूबे में फरवरी, 2027 में विधानसभा के चुनाव होने हैं। बीजेपी इसको ध्यान में रखकर ही प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी तय करने में जुटी है। बीजेपी यहां 98 स्थानीय अध्यक्षों में से 70 की नियुक्ति कर चुकी है। पार्टी के संविधान के मुताबिक अब वो प्रदेश अध्यक्ष का चयन कर सकती है।
भाजपा और संघ दोनों में दलित अध्यक्ष को लेकर चल रही चर्चा के बीच कहा जा रहा था कि कोई बड़ा चेहरा नहीं है, ऐसे में ओबीसी वर्ग से आने वाले किसी नेता को ही राज्य में अध्यक्ष बनाना ठीक रहेगा। हांलाकि बीजेपी को पिछड़े वर्ग की राजनीति करने वाले अपना दल (सोनेलाल), सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा), निषाद पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) उनके साथ है। रालोद के पास जाट, अपना दल (एस) के पास कुर्मी, सुभासपा के पास राजभर, मौर्य तथा कुशवाहा और निषाद पार्टी के पास निषाद समुदाय के मतदाताओं का समर्थन माना जाता है।
ऐसे में पार्टी में दलित अध्यक्ष के लिए एक नया नाम समाज कल्याण मंत्री असीम अरूण का लखनऊ और दिल्ली के शीर्ष नेतृत्व के बीच चर्चा में है। असीम आईपीएस अधिकारी रहे हैं, वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पसंद बने और पीएम ने ही उनको राजनीति में लाया। योगी के भी चहेते हैं। उनकी दलित वर्ग के युवाओं के बीच खासी लोकप्रियता है। हाल ही में सपा प्रमुख अखिलेश के खिलाफ उनके तेवरों से वो जहां दलितों के चहेते बने, वहीं सपा-बसपा के लिए किरकिरी बन गए।
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वैसे दावेदारों में अन्य नेता स्वतंत्र देव सिंह, यूपी के मंत्री धर्मपाल सिंह, केंद्रीय राज्य मंत्री बीएल वर्मा, राज्यसभा सांसद बाबूराम निषाद के नाम भी चर्चा में हैं। इसके साथ ही पार्टी कुछ दलित चेहरों में पूर्व सांसद रामशंकर कठेरिया, विनोद सोनकर, नीलम सोनकर तथा पूर्व एमएलसी विद्यासागर सोनकर के नाम पर भी विचार चल रहा है। ब्राह्मण जाति से राज्यसभा सांसद दिनेश शर्मा तथा पूर्व सांसद हरीश द्विवेदी के नाम भी चर्चा में हैं।