जफर अली (फोटो- सोशल मीडिया)
संभलः संभल हिंसा मामले में जामा मस्जिद के सदर जफर अली को कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। गुरुवार को एडीजे कोर्ट ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी। मामले की अगली सुनवाई के लिए 2 अप्रेल की तारीख मिली है। 24 मार्च को हुई मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पुलिस को केस डायरी पेश करने का आदेश दिया था, लेकिन पुलिस केस डायरी पेश नहीं कर पाई।
संभल में निचली कोर्ट के आदेश पर 24 नवंबर को जामा मस्जिद का सर्वे करने एक एसआई की टीम आई थी। इस सर्वे के दौरान हिंसा भड़क गई। इसमें 4 लोगों की मौत हो गई थी तो कई लोग घायल भी हुए थे। हिंसा के 4 महीने बाद मस्जिद के सदर जफर अली को पुलिस ने गिरफ्तार किया था। वहीं अपनी गिरफ्तारी पर सदर फंसाए जाने का आरोप लगाया था। उनका कहना है कि मैंने पुलिस की पोल खोल दी, इसलिए मुझे फंसाया गया। इसके साथ ही उन्होंने मारपीट का भी आरोप लगाया है।
हिंसा के 4 महीने के बाद जफर गिरफ्तार
संभल पुलिस ने हिंसा के 4 माह बाद जफर अली को गिरफ्तार किया और रविवार रात को मुरादाबाद जेल भेज दिया। पुलिस जीप से उतरते ही जफर ने कहा कि हिंसा के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस कर पुलिस की पोल खोल दी थी। इसलिए मुझे जेल भेज दिया गया। जफर बोला मैंने बता दिया था कि बच्चों को इन्होंने मारा है। हिंसा में जितने भी लोग मारे हैं, उन्हें पुलिस और प्रशासन ने मारा है।
जामा मस्जिद के सदर होने पर मांगी जमानत
बता दें कि जफर अली एडवोकेट हैं, जफर की तरफ से पेश हुए वकील ने दलील दी कि वह एडवोकेट हैं और जामा मस्जिद के सदर भी। इसलिए अंतरिम जमानत दी जानी चाहिए। उनका तर्क था कि पुलिस जब तक केस डायरी नहीं पेश करती तब तक के लिए अंतरिम जमानत दी जानी चाहिए।
हालांकि, न्यायालय ने इस मांग को खारिज कर दिया। अभियोजन पक्ष ने तर्क दिया कि जफर अली पर गंभीर आरोप हैं। उन्होंने भीड़ को उकसाकर गैरकानूनी जमाव कराया, बलवा भड़काया, सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया और पुलिस की गाड़ी जलवा दी। इसके अलावा, उन पर झूठे तथ्य गढ़ने के भी आरोप हैं, जो गंभीर श्रेणी में आते हैं और जिनमें मृत्युदंड तक की सजा का प्रावधान है।