
अखिलेश यादव और आजम खान, फोटो- सोशल मीडिया
 
    
 
    
Azam Khan Statement on Akhilesh Yadav: जेल से जमानत पर रिहा होने के बाद सपा के वरिष्ठ नेता आजम खान ने कई राजनीतिक मुद्दों पर बेबाकी से बात की। उन्होंने जहां अखिलेश यादव के साथ अपने पारिवारिक रिश्ते को अटूट बताया, वहीं खुद पर हुए मुकदमों को ‘जुल्म’ करार दिया। उन्होंने संवैधानिक पदों की हैसियत पर भी महत्वपूर्ण टिप्पणी की।
‘अखिलेश से 45 साल पुराना नाता, रिश्ते नहीं टूटते’, ये शब्द हैं समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान के। आजम खान ने सपा प्रमुख अखिलेश यादव के परिवार के साथ अपने रिश्ते पर स्पष्टीकरण दिया है। इसके साथ ही आजम ने कई बातें कही।
उन्होंने कहा कि अखिलेश परिवार के साथ उनका नाता लगभग 45 साल पुराना है, और ऐसे ही रिश्ते नहीं टूट जाते हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि जब किसी से वैचारिक और ऐतिहासिक लगाव हो, तो वह रिश्ता बना रहता है। आजम खान ने यह भी बताया कि अखिलेश यादव जेल में भी कई बार उनसे मिलने आए थे, चाहे वह पिछली बार तीन साल जेल में रहे हों या हाल ही में।
उन्होंने जोर देकर कहा कि वह रिश्ते को छोड़ने में यकीन नहीं रखते, और अगर कोई उन्हें छोड़ता है तो गलती उनकी होगी, आजम खान की नहीं। उन्होंने माना कि शिकवा, शिकायत या गलतफहमी हो सकती है, लेकिन वह 45 साल के रिश्ते को नहीं छोड़ सकते। उन्होंने अखिलेश के साथ नाराजगी की मीडिया में आ रहीं बातों को निराधार बताया।
आजम खान ने अपनी कानूनी चुनौतियों पर बात करते हुए कहा कि उनके मुकद्दर में जुल्म लिखा था। उन्होंने मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य पर टिप्पणी करते हुए कहा कि कानून का सहारा लेकर पुलिस द्वारा झूठे मुकदमे कायम किए जाते हैं। उन्होंने कहा कि उन्होंने खुद को नुकसान से बचाने के लिए कई आंदोलनों को होने से रोका क्योंकि उन्हें सड़कों पर नहीं, बल्कि अदालतों में ट्रायल फेस करना था।
उन्होंने यह भी कहा कि जमानत के मौके पर कपिल सिब्बल ने काफी प्रयास किए और सुप्रीम कोर्ट के जज साहब ने सभी मामलों में प्रीलिमिनरी बेल दी। हालांकि, उन्होंने सवाल किया कि क्या कोई गारंटी है कि अगला मुकदमा कायम नहीं होगा। उन्होंने अपनी प्राथमिकता बताते हुए कहा कि उन्हें कोई पद मिले न मिले, उन्हें सुकून-ए-दिल मिले और दहशत की जिंदगी न मिले।
उन्होंने डिप्टी सीएम पद को लेकर कहा कि संविधान में ऐसा कोई पद नहीं है, यह तो सिर्फ दिल बहलाने के लिए बना दिया जाता है। अब आप उत्तर प्रदेश को ही देख लीजिए, वहां दो डिप्टी सीएम रहे, लेकिन बेचारे लाचार हैं, अपने विभाग में उनकी कोई सुनने वाला नहीं है। रोज रोना सुनाया जाता है। क्या फायदा है? जब तक यह एक संवैधानिक पद न हो और जब तक संविधान में इसका प्रावधान शामिल न किया जाए, तब तक डिप्टी सीएम असल में कोई पद होता ही नहीं है।
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आजम खान ने इस बात को “बहुत तौहीन की बात” बताया कि मुसलमान सिर्फ वोट के लिए इस्तेमाल होते हैं। उन्होंने कहा कि वे खुद इस्तेमाल होने के लिए नहीं, बल्कि अपने हक के लिए काम करते हैं। उन्होंने कहा कि सही नुमाइंदगी सिर्फ टोपी पहनने से नहीं होती। उन्होंने उन लोगों की आलोचना की जो अल्पसंख्यक सम्मेलनों में टोपी जेब में रखकर आते हैं, सम्मेलन के दौरान पहनते हैं, और खत्म होते ही टोपी फिर जेब में चली जाती है।






