
अखलाक मॉब लिंचिंग केस (डिजाइन फोटो)
Akhlaq Lynching Case: वर्ष 2015 के बहुचर्चित दादरी के बिसाहड़ा कांड में उत्तर प्रदेश की योगी सरकार को करारा झटका लगा है। सूरजपुर कोर्ट ने मंगलवार को एक अहम फैसला सुनाते हुए सरकार की उस याचिका को सिरे से खारिज कर दिया, जिसमें अखलाक हत्याकांड के मुकदमे को वापस लेने की मांग की गई थी।
अदालत ने सरकार की दलीलों को आधारहीन और महत्वहीन बताते हुए निरस्त कर दिया है। इस फैसले के बाद अब आरोपियों पर कानूनी शिकंजा कसना तय माना जा रहा है। कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि इस तरह के गंभीर मामले में केस वापस लेने का कोई भी कानूनी आधार नहीं बनता है।
अदालत का यह निर्णय मृतक अखलाक के परिवार के लिए किसी बड़ी राहत से कम नहीं है, जबकि प्रशासन के लिए यह एक बड़ा झटका है। अब इस फैसले के बाद बिसाहड़ा कांड के सभी आरोपियों के खिलाफ अदालती कार्रवाई जारी रहेगी। दूसरी तरफ, पीड़ित पक्ष ने भी न्याय के लिए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है।
जी हां! यह मामला सिर्फ निचली अदालत तक सीमित नहीं रहा है। सरकार द्वारा केस वापस लेने के फैसले के खिलाफ मृतक मोहम्मद अखलाक की पत्नी इकरामन ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर दी है।
अपने वकील उमर जामिन के जरिए दाखिल इस याचिका में सरकार के 26 अगस्त 2025 के उस आदेश को चुनौती दी गई है, जिसमें केस वापसी की बात कही गई थी। याचिका में प्रशासनिक और न्यायिक आदेशों को रद्द करने की मांग की गई है। अब शीतकालीन अवकाश के बाद इलाहाबाद हाई कोर्ट की डबल बेंच इस पर सुनवाई करेगी।
यह पूरा मामला सितंबर 2015 का है, जब महज एक अफवाह की बिना पर दादरी के बिसाहड़ा गांव में एक भीड़ ने मोहम्मद अखलाक की घर में घुसकर पीट-पीटकर हत्या कर दी थी। उस वक्त गांव में यह अफवाह फैल गई थी कि अखलाक के घर में गोमांस रखा है।
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इस घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था और सांप्रदायिक तनाव चरम पर था। इस मामले में भीड़ के कई लोगों पर हत्या और दंगा भड़काने जैसी गंभीर धाराओं में मुकदमा चल रहा है, जिसे सरकार वापस लेना चाहती थी, लेकिन कोर्ट ने इसे नामंजूर कर दिया।






