
अखिलेश यादव, (फोटो- सोशल मीडिया)
Akhilesh Yadav Challenges BJP: संसद के शीतकालीन सत्र में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश के हालिया उपचुनावों को लेकर चुनाव आयोग पर गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने चुनाव प्रक्रिया को अपारदर्शी बताते हुए आरोप लगाया कि इन चुनावों में ‘वोट डकैती’ हुई है और बीजेपी को 2027 में उन्हीं सीटों को जीतकर दिखाने की चुनौती दे डाली।
संसद के शीतकालीन सत्र में लोकसभा में चर्चा के दौरान समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश में हुए उपचुनावों का जिक्र करते हुए चुनाव आयोग और सरकार पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि चुनाव आयोग की तरफ से चुनाव में निष्पक्ष कार्रवाई कहीं भी नहीं दिखी। अखिलेश यादव ने कहा कि चुनाव लोकतंत्र की ताकत माने जाते हैं, लेकिन आज वे धांधली की वजह से लोगों का भरोसा खो रहे हैं।
सपा अध्यक्ष ने अपनी बात को पुष्ट करते हुए कहा कि “जितने भी बाय इलेक्शन हुए हैं वहां वोट चोरी नहीं वोट डकैती हुई है”। उन्होंने आरोप लगाया कि तमाम शिकायतें दर्ज कराए जाने के बावजूद, चुनाव आयोग ने इस तरह की धांधली को लेकर कोई कार्रवाई नहीं की। उन्होंने यह भी कहा कि फर्रुखाबाद के चुनाव में तो नतीजे बदलने तक की घटनाएं देखी गईं और उम्मीदवारों ने इसकी औपचारिक शिकायत भी की थी।
अखिलेश यादव ने रामपुर उपचुनाव का विशेष उल्लेख किया, जहां बीजेपी पहली बार जीतने में सफल हुई थी। उन्होंने आरोप लगाया कि रामपुर में वोटिंग के दिन पुलिस और प्रशासन ने घर-घर जाकर लोगों को मतदान केंद्र जाने से रोका। अखिलेश यादव ने भारतीय जनता पार्टी को खुली चुनौती देते हुए कहा कि 2027 में विधानसभा चुनाव होने हैं। उन्होंने कहा कि बीजेपी जहां-जहां उपचुनाव जीती है, उसमें से एक भी सीट 2027 में जीत कर दिखा देना। उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि कई राज्यों में चुनाव के दौरान महिलाओं के खातों में सीधे पैसे भेजे गए।
अखिलेश यादव ने चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति की वर्तमान व्यवस्था पर सवाल खड़े किए और इस संबंध में कांग्रेस के सुझाव का भी समर्थन किया। उन्होंने जोर देकर कहा कि चुनाव प्रक्रिया तब तक पारदर्शी नहीं मानी जाएगी जब तक कि सभी राजनीतिक दलों को समान मंच और समान अवसर न मिले।
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ईवीएम पर संदेह व्यक्त करते हुए, सपा अध्यक्ष ने मांग की कि भारत को फिर से बैलेट पेपर पर लौटना चाहिए। उन्होंने तर्क दिया कि जर्मनी जैसे देशों में ईवीएम को मान्यता नहीं दी गई है, इसलिए भारत में भी बैलेट प्रक्रिया को एक बार फिर लागू करना जरूरी है ताकि चुनाव परिणामों पर कोई संदेह न रहे।






