राष्ट्रीय पर्यटन दिवस 2025 (सौ. फ्रीपिक)
National Tourism Day: भारत में कई तरह की भाषा, बोलियां, संस्कृति और परंपराएं मौजूद हैं जो हमारे देश की विविधता को दर्शाती है। जहां कुछ राज्यों में बर्फ की चादर देखने को मिलेगी तो वहीं कुछ जगहों पर आपको रेतीले मैदान और जंगल देखने को मिलेंगे। कुछ जगहों की खासियत झील, झरने, समुद्र है तो वहीं कुछ जगह ऐतिहासिक इमारतों के लिए प्रसिद्ध हैं। पहाड़ों से लेकर मैदानों तथा समुद्र तटों पर स्थित पर्यटन स्थल दुनियाभर से लोगों को आकर्षित करते हैं। भारत की कई जगह धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व भी रखती हैं। अपनी विविधताओं के लिए पहचाना जाने वाला देश भारत पर्यटन के लिए काफी मशहूर है। जिसकी वजह से दुनियाभर के देशों में भारत के पर्यटन से परिचित कराने के लिए हर साल 25 जनवरी का दिन राष्ट्रीय पर्यटन दिवस के रूप में मनाया जाता है।
भारत की अर्थव्यवस्था कुछ हद तक पर्यटन पर भी निर्भर करती है। इसे बढ़ावा देने मतलब रोजगार व देश की जीडीपी में वृद्धि होना है। जिसकी वजह से देश में पर्यटन दिवस को मनाने की आवश्यकता महसूस की गई। इसके महत्व को समझने के लिए पर्यटन दिवस के इतिहास को समझना जरूरी है।
भारत में पर्यटन दिवस हर साल 25 जनवरी को मनाया जाता है और वहीं विश्व पर्यटन दिवस 27 सितंबर को मनाया जाता है। बता दें कि देश में पर्यटन दिवस मनाने की शुरुआत आजादी के अलगे वर्ष से हुई। भारत के आजाद होने के बाद यानी वर्ष 1948 से देश में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए पर्यटन यातायात समिति का गठन किया गया। जिसके करीब तीन साल बाद 1951 में कोलकाता और चेन्नई में पर्यटन दिवस के क्षेत्रीय कार्यालयों की शुरुआत हुई। जिसके बाद इसका विस्तार दिल्ली, मुंबई और कोलकाता में भी हुआ। साल 1998 में पर्यटन और संचार मंत्री के नेतृत्व में पर्यटन विभाग की स्थापना हुई।
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भारत में पर्यटन उद्योग की समृद्धि से हर कोई परिचित है। यह अपनी खूबसूरती और विस्तार की वजह से दुनियाभर में जाना जाता है। साथ ही पर्यटन ने देश की अर्थव्यवस्था को बढ़ाने में भी अहम भूमिका निभाई है। वैश्विक स्तर पर पर्यटन के विकास से राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक मूल्यों से लोग जागरूक होते हैं। जिसकी वजह से पर्यटन दिवस मनाने का महत्व और बढ़ जाता है।
इस वर्ष हो रहे राष्ट्रीय पर्यटन दिवस की थीम समावेशी विकास के लिए पर्यटन है। यह आर्थिक विकास को प्रेरित करने में पर्यटन के महत्व पर प्रकाश डालता है। साथ ही इसका लाभ भारत के सभी वर्गों तक पहुंचाना है। इसके माध्यम से सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक आदर्शों के बारे में लोगों को जागरूक करना है। इससे रोजगार के नए अवसर प्राप्त होते हैं और संबंधित क्षेत्र का विकास सुनिश्चित हो पाता है।