भायंदर: वसई किला परिसर में करीब 25 दिनों तक तेंदुए (Leopard) की दहशत के बाद वन विभाग के अधिकारियों ने आखिर उसे बीते मंगलवार को पिंजरे में कैद कर लिया। जिससे उस परिसर के लोगों ने राहत की सांस ली है। वहीं अब पिछले दो-तीन दिनों से भायंदर (Bhayandar) पश्चिम के केशव सृष्टि परिसर में स्थित खाड़ीवर गांव में तेंदुए के मुक्त विचरण से उत्तन, डोंगरी के आस पास के क्षेत्र के लोगों में दहशत देखी जा रही है। वन विभाग के अधिकारियों को इसकी सूचना दिए जाने के बाद गुरुवार को ” स्प्रेड अवेयरनेस ऑन रेप्टाइल्स एंड रिहैबिलेशन प्रोग्राम (SARRP) ” नामक एनजीओ ने तेंदुए के आने-जाने के मार्ग में पैर के निशानों को जांच कर वहां ट्रैप कैमरे लगाए हैं। जिससे तेंदुए की गतिविधियों पर नजर रख उसे पिंजरे में कैद करने की योजना बनाई जा सके।
बता दें की खाड़ीवर गांव के निवासी डोमनिक मुनीश के घर के बाहर लगे सीसीटीवी कैमरे में 21 अप्रैल की तड़के सुबह 4 बजे मुर्गियों के दड़बे में घुसकर मुर्गी को दबोचते हुए तेंदुआ कैद हुआ था। इससे पहले भी गांव में कुत्ते और मुर्गियों को संख्या कम होने से लोगों में उक्त परिसर में तेंदुए के आने की आशंका थी। मुनीश के घर के बाहर लगे सीसीटीवी कैमरे में तेंदुए के कैद होने से इसकी पुष्टि हो गई है।
संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान के वन अधिकारी राकेश भोईर की सूचना पर हमने तेंदुए के आने जाने के मार्ग पर ट्रैप कैमरे लगाएं हैं। जिससे एक – दो दिन उसके गतिविधियों पर नजर रखी जायेगी। उसके बाद उसे पकड़ने के लिए पिंजरे लगाए जायेंगे। एहतियातन परिसर के लोगों को शाम होने से पूर्व बच्चों और जानवरों को घर के अंदर बंद कर लेने, रात को अंधेरे में नहीं निकलने, आवश्यकता पड़ने पर अगर निकलना पड़े तो रोशनी और डंडे के साथ आवाज करते हुए बाहर निकलने की हिदायत दी गई है – आसिफ पत्रावाला, सदस्य (SARRP)
केशव सृष्टि परिसर में अक्सर तेंदुए के विचरण की खबर से लोगों में दहशत रहती है। इससे पूर्व भी कई बार इस परिसर में तेंदुए देखे गए हैं। पिछले वर्ष भी एक स्थानीय किसान द्वारा फसल की सुरक्षा के लिए सूअर को पकड़ने के लिए लगाए गए पिंजरे में एक तेंदुआ फंस गया था। जिसे बाद में वन अधिकारियों ने उसे रेस्क्यू किया था। संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान से इतना दूर इस परिसर में तेंदुआ कैसे आता है ,यह एक शोध का विषय है। मेरा वन विभाग के अधिकारियों से आग्रह है कि एक तेंदुए को शीघ्र पकड़ कर परिसर को भय और दहशत मुक्त करें – फ्रीडा मोराईस, स्थानीय समाज सेविका