रोहित शर्मा, गौतम गंभीर और अजीत अगरकर (फोटो-सोशल मीडिया)
स्पोर्ट्स डेस्क: भारतीय टीम को ऑस्ट्रेलिया में 3-1 से हार का सामना करना पड़ा था। ऑस्ट्रेलिया में खराब प्रदर्शन के कारण ही भारतीय टीम वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल में जगह नहीं बना सकी। इस साल के शुरुआत में ऑस्ट्रेलिया में खेले जा रहे पांच टेस्ट मैचों की सीरीज में पांचवें और आखिरी टेस्ट मुकाबले से रोहित शर्मा को बाहर कर दिया गया था। सिडनी टेस्ट में रोहित को जगह प्लेइंग 11 में जगह नहीं मिली थी।
सिडनी टेस्ट में बाहर रहने के फैसले को लेकर रोहित शर्मा ने चुप्पी तोड़ते हुए कहा कि यह फैसला उनका नहीं था और सर्वसम्मति से नहीं लिया गया था। इसमें मुख्य कोच गौतम गंभीर और मुख्य चयनकर्ता अजीत अगरकर के साथ उनकी ‘बहस’ हुई थी। जिसके बाद उन्हें पांचवें टेस्ट से बाहर होना पड़ा।
बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के दौरान एडिलेड, ब्रिसबेन और मेलबर्न में रोहित शर्मा ने खेला। इन तीन मैचों के पांच पारियों में उनके बल्ले से केवल 31 रन ही बने। जिसके बाद चारों तरफ संन्यास की चर्चाएं तेज हो गई। मेलबर्न में रोहित शर्मा ओपनिंग करने आएं, जिस कारण शुभमन गिल को बाहर बैठाना पड़ा। लेकिन रोहित उस मैच में भी फेल हो गए।
रोहित ने ‘बियॉन्ड23 क्रिकेट पॉडकास्ट’ के दौरान ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान माइकल क्लार्क से कहा कि हम किसी तरह गिल को अंतिम एकादश में रखना चाहते थे, वह बहुत अच्छा खिलाड़ी है। वह पिछले टेस्ट मैच में नहीं खेल पाया था। मैं ऐसा ही हूं… ठीक है, अगर मैं गेंद को अच्छी तरह से नहीं मार पा रहा हूं, तो यह अभी है। चीजें पांच दिन बाद, दस दिन बाद बदल सकती हैं।
उन्होंने कहा कि मैंने कोच और चयनकर्ता से बात की और वे इस पर सहमत भी हुए, असहमत भी हुए। इस मुद्दे पर हमारी बहस भी हुई थी। टीम को प्राथमिकता देने वाले अपने नेतृत्व दृष्टिकोण के लिए मशहूर भारतीय कप्तान का तर्क सरल था। रोहित ने कहा कि आप टीम को प्राथमिकता देने की कोशिश करते हैं, आप बस देखते हैं कि टीम की क्या जरूरत है और उसके अनुसार निर्णय लेते हैं। कभी-कभी यह काम करेगा, कभी-कभी नहीं। ऐसा ही होता है। आप जो भी निर्णय लेने की कोशिश करते हैं, उसमें आपको सफलता की गारंटी नहीं होती।
इस महान बल्लेबाज ने खुद को बाहर करने के निर्णय पर पहुंचने के लिए तार्किक तर्क भी दिया। उन्होंने कहा कि मैंने (एडिलेड में) अच्छा नहीं खेला था। मैंने सोचा कि मुझे पारी का आगाज करना चाहिये था। मैं जो करता हूं और वहां असफल होना पसंद करूंगा। यही मेरी जगह है, यही मेरी स्थिति है। मैं वहां जाकर बल्लेबाजी करना पसंद करूंगा, चाहे मुझे सफलता मिले या नहीं, यह एक अलग बात है। लेकिन मैं टीम के लिए अपनी स्वाभाविक जगह पर खेलूंगा।
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रोहित ने कहा कि सीरीज के आखिरी टेस्ट मे मुझे खुद के साथ ईमानदार होना पड़ा। मैं गेंद को अच्छी तरह से नहीं मार पा रहा था। मैं खुद को सिर्फ टीम में इसलिए वहां नहीं रखना चाहता था क्योंकि हमने दूसरे खिलाड़ियों को बाहर कर दिया था जो संघर्ष कर रहे थे। कप्तान ने कहा कि जब उन्हें राष्ट्रीय टीम के नेतृत्व की जिम्मेदारी मिली, तो उन्हें हर समय टीम के हितों को सबसे पहले रखना पड़ा।