(डिजाइन फोटो)
पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, बीजेपी देश के नौजवानों को बेरोजगार देखना नहीं चाहती। इसलिए उसके नेता रोजगार के नए-नए फार्मूले बताते रहे हैं जो इसके पहले किसी सरकार या नेता के दिमाग में नहीं आए। इस तरह की काउंसलिंग के लिए इस पार्टी और उसके तेज दिमाग वाले नेताओं का शुक्रिया अदा करना चाहिए।’’
हमने कहा, ‘‘बेशक नाले की गैस से पाइप जोड़कर पकौड़े तलने का आइडिया लोग नहीं भूले हैं। अब त्रिपुरा के सीएम बिप्लवकुमार देव ने कहा है कि युवक सरकारी नौकरियों के लिए नेताओं के पीछे भागने की बजाय पान की दूकान खोल लेते तो उनका बैंक बैलेंस लाखों में होता।’’
पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, पान की दूकान की सलाह तो अच्छी है लेकिन यह प्रधानमंत्री मोदी के स्वच्छ भारत अभियान के खिलाफ जाती है। लोग पान खाकर यहां वहां पीक थूकेंगे तो गंदगी फैलेगी। सरकारी कार्यालयों से लेकर अदालत की सीढि़यों तक पान की पीक से दीवारें रंगी रहती हैं। इसके अलावा पान में सुपारी होती है और आप तो जानते हैं कि सुपारी लेना और देना खतरनाक होता है। आप अखबार में पढ़ते होंगे कि हत्या की सुपारी देनेवाला गिरफ्तार! सुपारी भी 2 प्रकार की होती है- बोल्डर या बारीक कतरी हुई। इसके अलावा सबसे बड़ा सवाल है कि पान की मार्केटिंग कैसे होगी? हम यूरोप और अमेरिका के लोगों को पान की गिलौरी खाने का शौकीन कैसे बनाएंगे?’’
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हमने कहा, ‘‘मान-पान कौन नहीं चाहता? बड़े-बड़े योद्धा पान का बीड़ा उठाकर युद्ध करने चले जाते थे। रही बात मार्केटिंग की, तो हर पान की दूकान पर अमिताभ बच्चन की फिल्म डॉन वाला फोटो लगाकर गीत बजाया जा सकता है- खई के पान बनारसवाला, खुल जाए बंद अकल का ताला। अमिताभ और जया प्रदा का एक और कामेडी गीत है- चली आना तू पान की दूकान पर साढ़े तीन बजे!’’
पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, पुराने किस्म के लोगों को राजकपूर और वहीदा रहमान की फिल्म ‘तीसरी कसम’ का गीत अच्छा लगेगा- उड़-उड़ बैठी पनवड़िया दुकनिया, पनुवा के सब रस ले लिए रे पिंजरेवाली मुनिया! रही बात पान की तो उसमें चूना जरा संभाल कर लगना पड़ता है।’’
हमने कहा, ‘‘इसकी फिक्र मत कीजिए। इस सरकार के रहते विजय माल्या, नीरव मोदी, मेहुल चौकसी जैसे लोग बैंकों को हजारों करोड़ रुपए का चूना लगाकर विदेश भाग चुके हैं।’’
लेख चंद्रमोहन द्विवेदी द्वारा