उचित दर पर बिजली नहीं मिल रही
नवभारत डिजिटल डेस्क: महाराष्ट्र में अन्य राज्यों की तुलना में बिजली 25-30 प्रतिशत महंगी है। इसी वजह से कितने ही उद्योग पड़ोसी राज्यों खासतौर से छत्तीसगढ़ में चले गए। विद्युत वितरण कंपनियों के कामकाज पर अंकुश रखने, उनकी बिजली दर तय करने तथा विद्युत उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के उद्देश्य से 25 वर्ष पूर्व महाराष्ट्र राज्य विद्युत नियामक आयोग (मर्क) का गठन किया गया।
यह आयोग स्वायत्त होने से उसके प्रति विश्वसनीयता थी लेकिन पिछले कुछ वर्षों से यह भरोसा कम हो रहा है। हाल ही में टैरिफ आर्डर पर 3 दिनों में जिस तरह यू-टर्न लिया गया, उससे विश्वसनीयता घटी है। महाराष्ट्र राज्य विद्युत वितरण कंपनी ने 30 नवंबर 2024 को अगले 5 वर्षों के लिए बहुवार्षिक विद्युत दर वृद्धि प्रस्ताव नियामक आयोग के सामने पेश किया।
आयोग ने उसका अध्ययन किया और फिर नई मुंबई, नाशिक, औरंगाबाद, अमरावती व नागपुर में सुनवाई कर ग्राहक संगठनों, किसान संगठनों, उद्योग प्रतिनिधियों, सांसद-विधायक तथा महावितरण की राय जानी। इसके बाद आयोग ने विशेषज्ञों की सहायता से प्रस्ताव पर विस्तार से विचार कर 28 मार्च 2025 को 827 पृष्ठों का आदेश जारी किया।
इस ऐतिहासिक आदेश में आयोग ने महावितरण का 48,066 करोड़ घाटे का प्रस्ताव ठुकरा दिया और महावितरण के पास 44,480 करोड़ रुपए अतिरिक्त जमा बताकर विद्युत दर में 10 प्रतिशत कटौती करने का निर्णय दिया। साथ ही यह आदेश भी दिया कि 2029-30 तक विद्युत दर में 16 प्रतिशत तक कमी की जाए।
2025-26 में सभी श्रेणियों में 5 से 15 प्रतिशत दर कम करने को कहा। वास्तव में महावितरण ने इस प्रस्ताव में स्वयं ही 0 से 100 यूनिट इस्तेमाल करने वाले ग्राहकों की बिजली दर 7 प्रतिशत कम करने का प्रस्ताव दिया था तथा बाकी सभी उपभोक्ताओं (घरेलू, औद्योगिक, व्यावसायिक) के लिए आंशिक दर वृद्धि की मांग रखी थी।
महावितरण से लेकर सरकार तक ने बिजली की दरें कम किए जाने की बात कही थी। इसके बावजूद इसका उलटा हुआ। महावितरण ने कहा कि बिजली दर कटौती से उसका दिवाला निकल जाएगा। विद्युत वितरण हानि 22 प्रतिशत होने की बात कही जिसे घटाकर 14 प्रतिशत पर लाने में सफलता नहीं मिली। विद्युत वितरण कंपनी ने आयोग से अपने आदेश पर पुनर्विचार करने को कहा।
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28 मार्च को आयोग ने बेस्ट, अदाणी, टाटा के टैरिफ आर्डर पारित किए। उनसे भी दर कटौती करने को कहा। महावितरण ने आयोग के निर्णय में गलती होने की बात कहकर उस पर पुनर्विचार की मांग की। इस पर आयोग ने खुद के विद्युत दर कटौती के आदेश को स्थगित कर दिया। आखिर आयोग क्यों पीछे हटा और महावितरण ने आयोग के आदेश में कौनसी गलती निकाली इसका खुलासा होना चाहिए। जनता को बिजली बिल में राहत से वंचित रखा गया।
लेख- चंद्रमोहन द्विवेदी के द्वारा