
पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज विभिन्न पार्टियों के नेतागण कुछ इस अंदाज में बयानबाजी कर रहे है जैसे चुनाव सिर पर आ गया. जब आम चुनाव 2024 के अप्रैल में होगा तो अभी से इतनी खलबली क्यों है? इस समय राजनीतिक थपेड़ों के साथ चुनावी हवा क्यों चलने लगी? वैसे आपको क्या लगता है? हवा का रूख किस तरफ रहेगा?’’
हमने कहा, ‘‘भारत में हर वर्ष चुनाव वर्ष रहता है. इस वर्ष 9 राज्यों के चुनाव है तो अगले वर्ष लोकसभा चुनाव. जहां तक हवा का सवाल है, वह कभी दिखाई नहीं देती. जो चीज दिखाई न दे उसके बारे में क्या बताएं. हवा सिर्फ महसूस की जाती है. हवा नहीं तो वायुमंडल ही न हो. आपने हवा शब्द पर कितने ही गीत सुने होंगे जैसे- ये हवा ये नदी का किनारा, चांद-तारों ने मिलकर पुकारा, ये समां मिलेगा फिर ना दोबारा! हवा के साथ-साथ घटा के संग-संग ओ साथी चल!इन हवाओं में, इन फिजाओं में तुझको मेरा प्यार पुकारे! कहते हैं मुझको हवा-हवाई!’’
पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, हम आपसे चुनावी हवा के बारे में पूछ रहे हैं. वह किसके लिए हानिकारक और किसके लिए लाभप्रद हो सकती है?’’ हमने कहा, ‘‘इमली के वृक्ष के नीचे की हवा नुकसानदेह है और नीम के झाड़ की हवा फायदेमंद होती है. वैसे हवा हमेशा मिश्रित रहती है. उसमें हर प्रकार की गैस आक्सीजन, हाईड्रोजन, नाइट्रोजन, हीलियम, क्लोरिन, अमोनिया, मिथेन और कार्बन डाई आक्साइड पाई जाती है. मनुष्य सहित सभी जीवधारी हवा में से प्राणवायु या ऑक्सीजन लेते हैं जबकि पेड़-पौधों को कार्बन-डाई आक्साइड चाहिए.’’
पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, आपको चुनावी हवा के बारे में बताना है या नहीं!’’ हमने कहा, ‘‘चुनावी हवा कभी आम चुनाव में चलती है तो कभी उप चुनाव में. ऐसी हवा पंचायत, जिला परिषद, नगरपालिका से लेकर विधानसभा और लोकसभा चुनाव में जोर-शोर से चलती है. चुनावी हवा नेताओं के लिए प्राणवायु का काम करती है बशर्ते वह उनके पक्ष में चले. इस चुनावी हवा में लुभावने वादों की गुलाबी सुगंध समाई रहती है. जिन पार्टी की चुनावी हवा में घनत्व ज्यादा होता है, वह वोटों की मानसूनी बारिश करवा देती है. वह जनमानस को छूते हुए ईवीएम में समा जाती है. आगे चलकर नतीजे बताते हैं कि हवा किसके पक्ष में थी.’’






