नवभारत निशानेबाज (डिजाइन फोटो)
नवभारत डेस्क: पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘निशानेबाज हिंदू धर्म पुनर्जन्म को मानता है। एक जन्म में जो कार्य अधूरा रहता है, उसे पूरा करने के लिए पुनर्जन्म होता है। आत्मा जीर्ण शरीर को त्यागकर नया कलेवर धारण करती है। इस तरह जनम जनम के फेरे होते रहते हैं। आपने कवि नीरज का गीत सुना होगा जिसके बोल हैं- ‘बादल-बिजली, चंदन-पानी जैसा अपना प्यार, लेना होगा जनम हमें कई-कई बार !’ ऐसी मान्यता है कि पति-पत्नी का साथ 7 जन्मों का होता है।
हमने कहा, ‘आज आपने पुनर्जन्म या रिबर्थ का मुद्दा क्यों उठाया है? यह बात तो गीता भी कहती है कि अपने कर्मबंधन की वजह से व्यक्ति को पुनर्जन्म लेना पड़ता है। भीष्म पितामह ने भगवान कृष्ण से पूछा था कि केशव, मुझे शरशय्या पर इतनी पीड़ा क्यों भोगनी पड़ रही है, तो कृष्ण ने भीष्म से अपने पूर्वजन्मों को याद करने को कहा था।
भीष्म ने स्मरण करते हुए कहा कि पिछले 71 जन्मों में मैंने कोई पाप नहीं किया, तो कृष्ण ने बताया कि उससे भी पहले के जन्म में तुमने बबूल के कांटों से तितलियों को टोंच-टोंच कर मारा था। अब वही कष्ट तुम्हें झेलना पड़ रहा है। कर्म का फल अवश्य मिलता है, फिर चाहे किसी भी जन्म में मिले।
जहां तक पुनर्जन्म की बात है, सत्यनारायण की कथा के 5 वें अध्याय में उसके दृष्टांत इस प्रकार हैं। महाराज उल्कामुख अगले जन्म में राजा दशरथ बने। लकड़हारा भिल्ल ने केवट के रूप में जन्म लेकर राम को अपनी नाव से गंगा पार कराई। शतानंद अगले जन्म में सुदामा बने। साधु वैश्य अगले जन्म में मोरध्वज राजा बना।’
पड़ोसी ने कहा, ‘निशानेबाज, ओडिशा के बीजेपी सांसद प्रदीप पुरोहित ने लोकसभा में दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूर्वजन्म में छत्रपति शिवाजी महाराज थे। यह बात उन्हें गंधमर्दन पहाड़ी क्षेत्र में रहनेवाले संत गिरिजाबाबा ने बताई थी। अपने पूर्वजन्म के संस्कारों की वजह से मोदी भारत को दुनिया में सबसे शक्तिशाली राष्ट्र बनाने की भावना से काम कर रहे हैं।’
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हमने कहा, ‘बीजेपी सांसद यदि मोदी का महिमामंडन कर रहे हैं, तो इसमें आश्चर्य की कौन सी बात है! स्वयं मोदी को भी अपने दिव्य स्वरूप की भावनात्मक अनुभूति हुई थी, तभी तो उन्होंने कहा था कि मुझे लगता है कि मैं बायोलॉजिकल नहीं हूं। उन्होंने मां गंगा से गहरा नाता जोड़ा है। भीष्म पितामह के समान ही बीजेपी के भक्तजन चाहें तो मोदी को गंगापुत्र मान सकते हैं।’
लेख- चंद्रमोहन द्विवेदी द्वारा