मध्यप्रदेश के मंत्री विजय शाह (सौ. डिजाइन फोटो)
नवभारत डिजिटल डेस्क: सत्ता के मद में बावला होकर कोई मंत्री अमर्यादित तौर पर अनाप-शनाप बोल जाए और फिर अपनी चमड़ी बचाने के लिए माफी मांगे तो क्या उसका गुनाह नजरअंदाज किया जाना चाहिए? ऐसा हरगिज नहीं होना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कर्नल सोफिया पर विवादित बयान देने वाले मध्यप्रदेश के मंत्री विजय शाह की माफी अस्वीकार करते हुए न्याय व जनभावना के अनुरूप कदम उठाया है। जस्टिस सूर्यकांत ने सख्त शब्दों में कहा कि बहुत से लोग कानूनी प्रक्रिया से बचने के लिए माफी मांग लेते हैं और घड़ियाली आंसू बहाते हैं। हमें ऐसी माफी की जरूरत नहीं है।
आप बाहर जाकर कहेंगे कि कोर्ट के कहने पर माफी मांगी। आपको पद की गरिमा का ध्यान नहीं है। आपने बिना सोचे-समझे ऐसी बातें कैसे की? पूरा देश शर्मिंदा है। मंत्री का आचरण आदर्श रहना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने इस प्रकरण की जांच हेतु एसआईटी बनानने का आदेश दिया जिसके 3 आईपीएस अधिकारी मध्यप्रदेश से बाहर के होंगे। उनमें एक महिला अधिकारी भी होगी। विजय शाह ने सार्वजनक कार्यक्रम में मंच से बोलते हुए कर्नल सोफिया कुरैशी का नाम लिए बिना उन्हें आतंकियों की बहन कह दिया था। इस बेहूदा कथन से सारा देश अवाक रह गया था। इस मंत्री का महिलाओं के बारे में अनुचित टिप्पणी करने का इतिहास है। विजय शाह ने मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की पत्नी के बारे में अभद्र टिप्पणी की थी, जिसकी वजह से उन्हें 2013 में राज्य मंत्रिमंडल से निकाल दिया गया था।
शाह ने मध्य प्रदेश में एक फिल्म की शूटिंग को इसलिए रुकवा दिया था क्योंकि फिल्म की हीरोइन विद्या बालन ने उनके साथ डिनर करने से इंकार कर दिया था। एक कार्यक्रम में पुरस्कार वितरित करते हुए शाह ने एक छात्रा पर भी अभद्र टिप्पणी की थी। मोदी से पहले के सभी प्रधानमंत्रियों को शाह ने ‘गधा’ आदि कहा था। शाह की बदजुबानी का सिलसिला लम्बा है, लेकिन अनुसूचित जनजाति क्षेत्रों में इस 8 बार के विधायक के प्रभाव को मद्देनजर रखते हुए बीजेपी इनकी हरकतों को बर्दाश्त करती है व बार-बार मंत्रिमंडल में भी शामिल कर लेती है, बावजूद इसके कि उनके खिलाफ 12 साल से पार्टी की अनुशासनात्मक कार्यवाही लम्बित है।
लेकिन इस बार शाह ने लाल रेखा पार की है और बीजेपी को चाहिए कि उन्हें सजा देकर उदाहरण स्थापित करे। पहलगाम के बाद सिविल सोसाइटी व भारत के राजनीतिक वर्ग ने सराहनीय एकता का परिचय दिया है। इस किस्म की एकता विजय शाह जैसे लोगों के लिए सबक है, जो भारत के सामाजिक ताने-बाने को तार-तार करना चाहते हैं। सभी सांप्रदायिक विवादों के बीज नेता ही बोते हैं। इस किस्म की विभाजक व सांप्रदायिक सियासत पर पार्टी कड़ी कार्रवाई से विराम लगाये।
लेख-चंद्रमोहन द्विवेदी के द्वारा