बीसीसीआई का नया नियम (डिजाइन फोटो)
नवभारत डेस्क: पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, न जाने क्यों इन दिनों पत्नी विरोधी मुहिम चल रही है। एक उद्योगपति ने सप्ताह में 90 घंटे और रविवार को भी काम करने की सलाह देते हुए कहा कि कब तक घर में बैठकर पत्नी का मुंह देखते रहोगे। इसके बाद अब भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड या बीसीसीआई क्रिकेटरों के साथ पत्नियों के दौरे पर लगाम लगाने की सोच रहा है। ये लोग भूल रहे हैं कि पत्नी प्रेरणाशक्ति होती है। कहावत है कि हर सफल व्यक्ति के पीछे किसी स्त्री का हाथ होता है।’’
हमने कहा, ‘‘बीसीसीआई नहीं चाहता कि खिलाड़ियों का ध्यान भटके। पत्नी साथ में जाएगी तो खिलाड़ी मोहग्रस्त हो जाएगा। उसे शॉपिंग कराएगा, रात में पूरी नींद नहीं लेगा। खेलते समय उसकी निगाह दर्शक दीर्घा में बैठी पत्नी की ओर रहेंगी। ऐसे में विकेट गंवा देगा या कैच छोड़ देगा। क्या युद्ध के मोर्चे पर कोई सैनिक अपनी पत्नी को साथ ले जाता है?’’
पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, लगता है आपने पुराण कथाएं नहीं पढ़ीं। राजा दशरथ जब देवासुर संग्राम में देवताओं की ओर से भाग लेने गए तो अपने साथ अपनी प्रिय पत्नी कैकेयी को ले गए थे। जब रथ के पहिए की कील या धुरी निकल गई थी तो कैकेयी ने वहां अपनी उंगली डालकर दशरथ की प्राणरक्षा की थी। इसीलिए दशरथ ने कैकेयी से 3 वर मांगने को कहा था। कैकेयी ने कहा था कि उचित अवसर आने पर वर मांग लूंगी। कैकेयी ने राम को वनवास देने का वर मांगा यदि वह ऐसा वर नहीं मांगती तो राम सिर्फ अयोध्या के राजा बनकर रह जाते और रावण का वध नहीं हो पाता।’’
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पड़ोसी ने कहा, ‘‘राम के अवतार कार्य का मिशन पूरा करने के लिए कैकेयी ने लोक निंदा की परवाह नहीं की। इसी तरह नरकासुर या भौमासुर को मारने के लिए श्रीकृष्ण अपनी पत्नी सत्यभामा को साथ ले गए थे क्योंकि विधाता ने उस असुर की मृत्यु किसी स्त्री के हाथों लिखी थी। पत्नी सहधर्मिणी या जीवन संगिनी होती है। खिलाड़ी यदि ठीक से नहीं खेलता या कम रनों पर आउट हो जाता है तो इसका दोष पत्नी को क्यों दिया जाना चाहिए? वह तो यही चाहेगी कि उसका पति सेंचुरी मारे। यदि बीसीसीआई को पत्नियों से इतनी ही चिढ़ है तो वह कुंवारे खिलाड़ियों की टीम बना ले।’’
लेख- चंद्रमोहन द्विवेदी के द्वारा