(डिजाइन फोटो)
जदयू और चिराग पासवान ने अग्निपथ योजना पर पुनर्विचार की मांग की है। 2022 में लागू किए जाने के बाद से ही राजनीतिक दल इसका विरोध करते रहे हैं। पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, यूपी, बिहार, राजस्थान में यह विपक्ष के चुनाव प्रचार का प्रमुख मुद्दा रहा। अग्निपथ योजना के आलोचकों का कहना है कि इसमें नियमित सैनिकों की तुलना में कम वेतन व कम लाभ हैं। इसमें पेंशन का प्रावधान नहीं है और 4 वर्ष बाद केवल 25 प्रतिशत अग्निवीरों को सेना में शामिल करने का नियम है। जिन्हें सेना में लिया जाएगा उनकी अग्निवीर के रूप में 4 वर्ष की सेवा का रिटायरमेंट लाभ में विचार नहीं किया जाएगा। अब तक 40,000 अग्निवीर अपना प्रशिक्षण पूर्ण कर चुके हैं तथा तीसरे बैच की ट्रेनिंग नवंबर 2023 से शुरू हुई है।
नौसेना के 7,385 तथा वायुसेना के 4,955 अग्निवीरों का प्रशिक्षण पूरा हो गया है। अग्निवीर का मूल वेतन 30,000 से 40,000 रुपए प्रतिमाह है। उन्हें जोखिम और कठिनाई भत्ता भी दिया जाता है। उनके वेतन से 30 प्रतिशत रकम सेवानिधि फंड के लिए काट ली जाती है। उसमें सरकार का भी उतना ही अंशदान रहता है। अपनी सेवा समाप्ति के बाद उन्हें ब्याज मिलाकर 11.71 लाख रुपए देने का प्रावधान है। यदि ड्यूटी के दौरान अग्निवीर की मृत्यु होती है तो उसके परिजनों को सेवानिधि पैकेज मिलाकर 1 करोड़ की कुल रकम देने का प्रावधान है। अपंग होने पर अग्निवीर को 44 लाख रुपए मुआवजा देने का नियम है। जदयू इस योजना के खिलाफ है।
इस योजना के आलोचकों का कहना है कि यह समान कार्य करनेवाले सैनिकों में भेदभाव करती है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इसे लेकर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखकर अग्निवीरों के लिए न्याय की मांग की है। जब यह योजना लाई गई तब सेना में औसत आयु 32 वर्ष थी। अग्निपथ लाने के बाद औसत आयु 26 वर्ष हो गई। विपक्ष ने यह मुद्दा भी उठाया कि कोई लड़की ऐसे युवक से विवाह क्यों करेगी जो 4 वर्ष बाद बेरोजगार होनेवाला है।
जिन 75 प्रतिशत अग्निवीरों को 4 वर्ष बाद सेवा से बाहर होना पड़ेगा, उनके पुनर्वास या अन्य रोजगार दिए जाने की कोई योजना नहीं बनाई गई है। क्या उन्हें पुलिस या अर्धसैनिक बलों में समायोजित नहीं किया जा सकता? शस्त्र चलाने का प्रशिक्षण पाने के बाद भी यदि उन्हें बेरोजगार रहना पड़ा तो कहीं उनमें से कुछ युवा अपराध तो नहीं करने लगेंगे? क्या उन्हें किसी लघु उद्योग चलाने के लिए प्रवृत्त किया जाएगा? इन सारे पहलुओं पर विचार की आवश्यकता है। लेख चंद्रमोहन द्विवेदी द्वारा