पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, खबर छपी थी कि राहुल गांधी अरविंद केजरीवाल को वोट देंगे और केजरीवाल राहुल के लिए मतदान करेंगे। यह है दोस्ती की मिसाल! मोहब्बत की दूकान में ऐसा ही आदान-प्रदान होता है। खुले दिल से किसी के हो जाओ या किसी को अपना बना लो। आपने फिल्म ‘शोले’ में जय और बीरु की दोस्ती देखी होगी। अब राहुल और केजरी की दोस्ती देख लीजिए। राजश्री प्रोडक्शन की फिल्म ‘दोस्ती’ का गीत था- तेरी दोस्ती मेरा प्यार’। एक फिल्म का गीत था- बने चाहे दुश्मन जमाना हमारा, सलामत रहे दोस्ताना हमारा।’’
हमने कहा, ‘‘फिल्मी परदे की दोस्ती भूल जाइए। रील लाइफ और रीयल लाइफ में बहुत अंतर होता है। दोस्ती का एक स्टैंडर्ड रहता है। बराबरीवालों में मित्रता होती है। विद्वान किसी मूर्ख से और धनवान किसी भुक्खड़ से दोस्ती नहीं करता। ज्यादातर दोस्ती समवयस्कों में होती है। कभी भी पेड़ की मोटी डाल पर बैठना चाहिए। मालदार से दोस्ती की तो ऐश करोगे, दुनिया के सारे मजे कैश करोगे! यूं तो नेता 140 करोड़ भारतीयों को संबोधित करते हुए ‘मित्रों’ कहता है लेकिन असली मित्र कौन हैं, दुनिया जानती है। मित्रों को एयरपोर्ट, बंदरगाह, गैसफील्ड, उद्योगों का लाइसेंस दिया जाता है। बदले में ये मित्र इलेक्शन बाँड में मोटी रकम देते हैं। स्कूल आफिस में भी मित्र मिल-बांटकर टिफिन खाते हैं।’’
पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, रूस और यूक्रेन में, इजराइल और हमास में, बिल्ली और कुत्ते में, सांप और नेवले में, बॉस और कर्मचारी में कभी दोस्ती नहीं हो सकती। कहावत है- घोड़ा घास से यारी करेगा तो खाएगा क्या!’’
पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, नादान से दोस्ती हो ही नहीं सकती। पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी पाकिस्तान से दोस्ती का पैगाम लेकर अमृतसर से लाहौर तक बस से गए थे। बदले में दगाबाज पाकिस्तान ने कारगिल पर हमला कर दिया। कविहृदय अटल मोदी के समान प्रैक्टिकल और सख्त नहीं थे।’’
हमने कहा, ‘‘हिंदी फिल्में दिखाती हैं कि नफरत मोहब्बत का दूसरा नाम है। फिल्मों में हीरोइन शुरुआत में हीरो से नफरत करती है लेकिन बाद में उसका दिल पिघल जाता है। वैसे यह बात सच है कि दुर्जनों में तालमेल जल्दी हो जाता है लेकिन सज्जनों में मुश्किल से एकता हो पाती है।’’