(डिजाइन फोटो)
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि दुनिया के तमाम देशों को चीन से परेशानी है लेकिन भारत के लिए चीन एक काफी बड़ी समस्या है। चीन की ओर से आनेवाले निवेश के किसी भी प्रस्ताव की भलीभांति जांच पड़ताल करनी होगी। यूरोप और अमेरिका में सारी बहस चीन को लेकर केंद्रित होती है।
भारत और चीन की सेनाओं के बीच मई 2020 में पूर्व लद्दाख में टकराव हुआ था। एलएसी की स्थिति को लेकर दोनों देशों में चर्चा होती रही है। दोनों पक्षों ने कूटनीतिक व सैनिक चैनलों से चर्चा को आगे बढ़ाने पर सहमति जताई है। पहली बार यह तय हुआ कि आपसी मतभेदों को घटाया जाएगा। दुनिया के अन्य देशों के समान हम भी चीन से व्यापार घाटे को लेकर चिंतित हैं। हमें समझना होगा कि चीन की अर्थव्यवस्था बिल्कुल अलग किस्म की है।
इसका ध्यान हमें उसके साथ व्यापार और निवेश करते समय रखना होगा। उसका काम करने का तरीका बिल्कुल अलग है। चीन की प्रणाली ऐसी है कि वहां कम खर्च में उत्पादन होता है। इस तरह वह विश्व व्यापार को गड़बड़ा देता है। भारत ने कभी नहीं कहा कि वह चीन के साथ व्यापार नहीं करेगा। जिन देशों की सीमा चीन से नहीं मिलती वह भी उसके निवेश की जांच-पड़ताल करते हैं।
यह भी पढ़ें- हिमाचल प्रदेश का अनोखा कानून, लड़कियों के विवाह की बढ़ाई न्यूनतम आयु
ऐसा करना हमारे लिए भी उतना ही आवश्यक है। लोग चीन के संदर्भ में राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा भी उठाते हैं। यदि आपका टेलीकाम चीनी तकनीक से निर्मित है तो आपकी चिंता बढ़ जाती है। आज के जमाने में अर्थव्यवस्था और सुरक्षा के बीच का दायरा बहुत कम रह गया है। सुरक्षा को लेकर चिंता जताते हुए विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि पिछले 5 वर्षों से चीन और भारत के बीच टकराव चला आ रहा है।
गलवान घाटी, पैंगांग त्सो और घोगरा हॉट् प्रिरंग क्षेत्र के उत्तर व दक्षिण में दोनों देशों की सेनाओं के बीच तनाव देखा गया लेकिन एलएसी पर बफर जोन बनाए जाने के बाद टकराव कुछ हद तक कम हुआ। इतने पर भी पूर्वी लद्दाख के देपसांग मैदानी इलाके और डेमचोक में तनाव जारी है। सितंबर 2022 में दोनों देशों ने घोगरा हॉट् प्रिरंग क्षेत्र के गश्ती पाइंट से अपने सैनिक पीछे हटा लिए थे।
जहां तक व्यापार का मुद्दा है, अनेक भारतीय व्यापारी चीन में रहकर कारोबार कर रहे हैं। उन्हें वहां के सख्त कानूनों का पालन करना पड़ता है। स्वदेशीकरण के प्रयासों के बावजूद भारत के बाजारों में बड़ी मात्रा में चीनी सामान बिक्री के लिए आता है जिसके दाम कम होते हैं।