कृष्ण-सुदर्शन का पुराना साथ (सौ. डिजाइन फोटो)
नवभारत डिजिटल डेस्क: पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘निशानेबाज, उपराष्ट्रपति चुनाव में राधाकृष्णन और सुदर्शन के बीच मुकाबला है।सारे देश की निगाहें इस पर लगी हुई है। हमें इन दोनों की गरिमा और महिमा के बारे में बताइए।’ हमने कहा, ‘इतिहास खुद को दोहराता है। सर्वपल्ली राधाकृष्णन का नाम सारे देशवासी जानते हैं। डॉ. राजेंद्र प्रसाद के बाद वह भारत के दूसरे राष्ट्रपति रहे, उनकी स्मृति में प्रतिवर्ष 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है। वह महान विद्वान थे जो रूस में भारत के राजदूत, फिर उपराष्ट्रपति और बाद में राष्ट्रपति बने। वे ऑक्सफोर्ड में दर्शन शास्त्र के प्रोफेसर भी रह चुके थे। अब एनडीए ने महाराष्ट्र के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित किया है।इस तरह राधाकृष्णन का युग फिर लौट आएगा।’
पड़ोसी ने कहा, ‘निशानेबाज, पौराणिक संदर्भ में विचार कीजिए तो राधाकृष्ण की सारे देश में पूजा होती है। राधा को कृष्ण की आल्हादिनी शक्ति माना जाता है। लोग भजन गाते हैं- राधे-राधे रटो चले आएंगे बिहारी! कृष्ण ने सुदर्शन चक्र से शिशुपाल का सिर काट दिया था। विष्णु भगवान के 4 हाथों में शंख, चक्र, गदा, पद्म हैं। इसी तरह विष्णु भगवान ने उस मगर का सिर सुदर्शन चक्र से काटा था जो उनके भक्त गजराज को गहरे पानी में खींचकर ले जा रहा था। एक बार श्रीकृष्ण ने सत्यभामा, गरुड़ और सुदर्शन चक्र का घमंड दूर करने के लिए लीला की थी।
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सत्यभामा को अपने रूप का गर्व था जबकि गरुड़ को गर्व था कि वह भगवान विष्णु का तीव्रगामी वाहन है। सुदर्शन चक्र स्वयं को सबसे शक्तिशाली मानते थे। कृष्ण ने द्वारका में सुदर्शन चक्र को पहरा देने का काम सौंप दिया। हनुमान को संदेश दिया गरुड़ को बुला लाओ। हनुमान ने वैकुंठ जाकर गरुड़ से कहा, चलो तुम्हारे मालिक तुम्हें द्वारका में बुला रहे हैं। गरुड़ को बहुत पीछे छोड़ हनुमान तुरंत द्वारका लौट आए। उन्होंने रखवाली कर रहे सुदर्शन चक्र को पकड़कर मुंह में रख लिया। हनुमान ने सत्यभामा को देखकर कहा, प्रभु सीतामाता दिखाई नहीं दे रहीं। यह कौन सी दासी यहां बैठी है? इस तरह गरुड़, सुदर्शन चक्र और सत्यभामा का घमंड चूर-चूर हो गया।’
लेख-चंद्रमोहन द्विवेदी के द्वारा