वोट चोरी पर चलती चर्चा (सौ. डिजाइन फोटो)
नवभारत डिजिटल डेस्क: पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘निशानेबाज, जबसे कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बीजेपी और चुनाव आयोग पर मिलीभगत से वोट चोरी का आरोप लगाया है, हमें गुलाम अली की गजल याद आने लगी है- हंगामा है क्यों बरपा, चोरी तो नहीं की है, डाका तो नहीं डाला! अपने बचाव के लिए मुख्य चुनाव आयुक्त चाहें तो राहुल को यह मशहूर गजल सुना सकते हैं।’ हमने कहा, ‘सीईसी का काम गजल सुनाना नहीं है। उन्होंने साफ कह दिया कि वोट चोरी का आरोप बेतुका व बेबुनियाद है! इसके लिए राहुल हलफनामा दें या फिर माफी मांगें।’
पड़ोसी ने कहा, ‘निशानेबाज, कितनी ही चोरियां ऐसी होती हैं जिनकी पुलिस थाने में रिपोर्ट नहीं लिखाई जाती। हीरोइन गाती है- चुरा लिया है तुमने जो दिल तो, नजर नहीं चुराना सनम! जिनके घरों में भ्रष्टाचार से कमाई गई बेहिसाबी दौलत रहती है वह चोरी की रिपोर्ट दर्ज नहीं कराते या चोरी गई रकम को काफी कम करके बताते हैं। दिल्ली में जज यशवंत वर्मा के घर में लगी आग से नोटों के बंडल जल गए। यदि पहले ही कोई चोर चुरा कर ले जाता तो उसके काम आते। लोग भ्रष्टाचार को लेकर इतना शोर मचाते हैं लेकिन देश का पैसा देश में ही रहता है।
भ्रष्ट मंत्री, अधिकारी, दलाल, ठेकेदार भी तो अपने ही देश के ही हैं। लक्ष्मी चंचला होती है। इस हाथ का पैसा उस हाथ जाता है।’ हमने कहा, ‘वोट चोरी का आरोप लगानेवालों को समझना चाहिए कि चोरी के और भी कई प्रकार होते हैं जैसे बिजली चोरी, पानी चोरी, सरकारी फंड की चोरी! अतिक्रमण करनेवाले जमीन की चोरी करते हैं। लोग नदी-तालाब पाटकर वहां भी मकान बना डालते हैं। चोरी की जमीन पर झोपडपट्टी बनती है। फुटपाथ चुराकर दुकानें लगा ली जाती हैं। लोग इनकम टैक्स, सेल्स टैक्स की चोरी करते हैं।
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सड़क बनाने की रकम चुरानेवाले इंजीनियर-ठेकेदारों की चोरी तब उजागर हो जाती है जब कुछ ही महीनों के भीतर सड़क में गहरे गड्ढे मुंह खोल देते हैं।’ पड़ोसी ने कहा, ‘निशानेबाज, प्रेमी-प्रेमिका भी एक दूसरे का दिल चुराते हैं। हीरो गाने लगता है- चुरा के दिल मेरा गोरिया चली!’
लेख-चंद्रमोहन द्विवेदी के द्वारा