भारत-ब्रिटेन संबंध (सौ. डिजाइन फोटो)
नवभारत डिजिटल डेस्क: भारत की वित्तीय राजधानी मुंबई आज एक विशेष उत्साह और नई ऊर्जा से स्पंदित है।यूनाइटेड किंगडम के प्रधानमंत्री केअर स्टारमर की दो दिवसीय यात्रा ने विश्व का ध्यान इस महानगर पर केंद्रित कर दिया है।इस यात्रा का मुख्य आकर्षण ‘ग्लोबल फिनटेक फेस्ट’ का भव्य आयोजन है, जो भारत और ब्रिटेन के बीच प्रगाढ़ होते मैत्रीपूर्ण संबंधों का एक जीवंत प्रतीक है।आज जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और प्रधानमंत्री स्टारमर इस वैश्विक मंच से एक साथ मुख्य भाषण देंगे, तो यह केवल एक औपचारिक राजनयिक संवाद नहीं होगा।
यह सदियों पुराने ऐतिहासिक संबंधों के एक नए शिखर पर पहुँचने और दोनों देशों के बीच सहयोग के एक सुनहरे अध्याय, जिसे ‘ब्रिस्क’ का नाम दिया गया है, की शुरुआत का प्रतीक होगा।यह नाम इस साझेदारी की गतिशीलता, रणनीतिक महत्व को रेखांकित करता है।एक ऐतिहासिक मोड़ ‘व्यापक रणनीतिक साझेदारी’ का सशक्तिकरण वर्ष 2025 भारत और ब्रिटेन के संबंधों के लिए एक मील का पत्थर साबित हुआ है।इसी वर्ष जुलाई में प्रधानमंत्री मोदी की सफल ब्रिटेन यात्रा के बाद, प्रधानमंत्री स्टारमर की यह भारत यात्रा इस साझेदारी को एक नई गति और ठोस आकार प्रदान कर रही है।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए यह क्षण वैश्विक महाशक्ति के रूप में भारत के उदय का प्रतीक है।प्रधानमंत्री मोदी के अथक प्रयासों ने ब्रिटेन के साथ इस अध्याय की नींव रखी है।
आर्थिक विकास और अवसरों का नया इंजन 24 जुलाई, 2025 को हस्ताक्षरित ‘व्यापक आर्थिक और व्यापार समझौता’ कई वर्षों की गहन वार्ताओं के बाद संपन्न हुआ यह ऐतिहासिक समझौता दोनों देशों के बीच व्यापार के परिदृश्य को पूरी तरह से बदल देने की क्षमता रखता है।यह भारतीय उपभोक्ताओं, उत्पादकों और निर्यातकों के लिए अवसरों के नए द्वार खोलेगा, जिससे अनगिनत उद्योगों और करोड़ों लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव आने की उम्मीद है।इस समझौते का सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह है कि इसके लागू होने के बाद ब्रिटेन के बाजार में जार में प्रवेश करने वाले 99% भारतीय उत्पादों पर सीमा शुल्क समाप्त हो जाएगा।इससे वस्त्र, चमड़ा, कृषि उत्पाद और ऑटोमोटिव घटक जैसे पारंपरिक भारतीय निर्यातकों को सीधा लाभ मिलेगा।
यह समझौता प्रधानमंत्री मोदी के ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ के मंत्र को साकार करता है, जिसका उद्देश्य भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ माने जाने वाले छोटे और मझोले उद्यमों को सशक्त बनाना है। हिंद-प्रशांत में सुरक्षा बंधन को मजबूतीः यह साझेदारी केवल अर्थव्यवस्था और व्यापार तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसका विस्तार रक्षा और सुरक्षा के क्षेत्र में भी हो रहा है, जो ‘विजन 2035′ रोडमैप की एक प्रमुख आधारशिला है।हिंद-प्रशांत क्षेत्र आज वैश्विक भू-राजनीति का केंद्र बनता जा रहा है, और भारत तथा ब्रिटेन दोनों ने इस क्षेत्र को एक मुक्त, खुले, नियम-आधारित और स्थिर क्षेत्र के रूप में बनाए रखने के लिए एक साझा दृष्टिकोण अपनाया है।
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यह सहयोग हाल ही में संपन्न हुए नौसैनिक अभ्यास ‘कॉकण 2025’ में स्पष्ट रूप से दिखाई दिया, जहाँ भारत के स्वदेशी विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत और ब्रिटेन के एचएमएस प्रिंस ऑफ वेल्स ने एक साथ मिलकर जटिल युद्धाभ्यास किए।यह दो आधुनिक नौसेनाओं के बीच बढ़ती अंतर-संचालनीयता और क्षेत्रीय शांति के प्रति उनकी दृढ़ प्रतिबद्धता का प्रतीक था।इसी तरह, भारतीय वायु सेना के साथ किए गए हवाई रक्षा अभ्यासों ने इस सहयोग को और भी गहरा किया है।
एक साथ मिलकर, भारत और यूनाइटेड किंगडम न केवल अपने लोगों के लिए समृद्धि लाने, सुरक्षा बढ़ाने और एक स्थिर, नियम-आधारित वैश्विक व्यवस्था को बनाए रखने के लिए तैयार हैं, बल्कि उनकी यह नवीनीकृत साझेदारी आने वाले दशकों में अंतर्राष्ट्रीय संबंधों की दिशा को भी आकार देने की क्षमता रखती है।
लेख-ब्रिजेश सिंह (भा.पो.से.), प्रधान सचिव तथा महासंचालक (सूचना व जनसंपर्क).