आज का निशानेबाज (सौ.सोशल मीडिया)
नवभारत डिजिटल डेस्क: पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘निशानेबाज, बाम्बे हाईकोर्ट ने एक निजी बैंक के सीनियर अधिकारी को राहत देते हुए कहा कि महिला सहकर्मी के बालों पर टिप्पणी करना और उस बारे में गाना गाने को कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न नहीं माना जा सकता. हाईकोर्ट ने इस मुद्दे को लेकर बैंक की आंतरिक शिकायत समिति की रिपोर्ट और औद्योगिक न्यायालय के आदेश को भी खारिज कर दिया।
आपकी उस अधिकारी के आचरण के बारे में क्या राय है. क्या आप उसे मनचला मानेंगे?’ हमने कहा, ‘न हम उसे मनचला कहेंगे, न दिलजला! मूड फ्रेश करने के लिए लोग गाते या गुनगुनाते हैं. वह अधिकारी बाथरूम सिंगर की बजाय बैंक सिंगर बन गया. बैंक के हिसाब की बजाय उसकी शायरी की किताब में ज्यादा दिलचस्पी होगी. आंकड़ों के जाल की बजाय उसे जुल्फों के जाल ने आकर्षित किया।
एक पुरानी फिल्म के युगल गीत में हीरो गाता है- उलझ गया जिया मेरा जुल्फों के जाल में. इस पर हीरोइन गाती है- भोली थी मैं फंसी साजन की चाल में.’ पड़ोसी ने कहा, ‘निशानेबाज, बैंक के अधिकारी ने अन्य महिला सहकर्मियों की मौजूदगी में महिला के बालों को लेकर गाना गाया. वह बैंक में काम करने जाता था या गाना गाने!’’ हमने कहा, ‘रिलैक्स होने के लिए गाना- गुनगुनाना बुरी बात नहीं है. इतनी सी बात को लेकर हंगामा खड़ा करने की जरूरत नहीं थी. उर्दू की तमाम शायरी में जुल्फों का जिक्र मिलेगा।
इसी तरह फिल्मी गीतों में भी जुल्फों को भरपूर अहमियत दी गई है. आपने गीत सुने होंगे- तेरी जुल्फों से जुदाई तो नहीं मांगी थी, कैद मांगी थी रिहाई तो नहीं मांगी थी. ये जुल्फ अगर खुलके बिखर जाए तो अच्छा हो! एहसान तेरा होगा मुझ पर, जो चाहता हूं वो कहने दो, मुझे तुमसे मोहब्बत हो गई है, मुझे जुल्फों की छांव में रहने दो. फिल्म नया दौर में वैजयंती माला ने दिलीप कुमार को निशाने पर लेते हुए गाया था- उड़ें जब-जब जुल्फें तेरी, कंवारियों का दिल मचले!’ पड़ोसी ने कहा, ‘फिल्मी गीतकारों ने जुल्फ को लेकर दर्जनों गाने लिखे हैं।
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एक गीत यह भी है- ना झटको जुल्फ से पानी, ये मोती टूट जाएंगे. एक कव्वाली थी- तेरी जुल्फों के साये में बसेरा हो गया, मुझे नींद ऐसी आई कि सबेरा हो गया.’ हमने कहा, ‘लेकिन यहां तो जुल्फों को लेकर मुकदमा हो गया. बड़ी मुश्किल से वह अधिकारी बच गया।’
लेख- चंद्रमोहन द्विवेदी के द्वारा