अहमदाबाद हादसे से एविएशन सेक्टर में खलबली (सौ. डिजाइन फोटो)
नवभारत डिजिटल डेस्क: अहमदाबाद एयरपोर्ट के एकदम बाहर एआई-171 दुर्घटनाग्रस्त क्यों हुआ? एयरक्राफ्ट का लैंडिंग गियर पीछे क्यों नहीं हटाया गया? क्या एयरक्राफ्ट के दोनों इंजन फेल हो गये थे? इंजन आशंकित मिलावटी तेल या ब्लॉकेज के कारण फेल हुए? क्या ट्रेक ऑफ के लिए विंग्स के फ्लैप्स को नीचे किया गया था? इन तकनीकी प्रश्नों के विस्तृत उत्तर तो अगले वर्ष 12 जून तक आने वाली अंतिम जांच रिपोर्ट में ही मिल सकेंगे, लेकिन सवाल इससे अलग हटकर भी हैं, जिन्हें विश्व के तीसरे सबसे बड़े नागरिक उड्डयन बाजार को बहुत जल्द देखना पड़ेगा। इस हादसे से एविएशन बाजार में खलबली है। बोइंग 787 की यह पहली दुर्घटना है। फ्लाइट डाटा साइट सिरियम का कहना है कि इस एयरक्राफ्ट का उड़ान समय 41,000 घंटों से अधिक है और पिछले 12 माह में इसने 8,000 टेक-ऑफ व लैंडिंग की हैं।
एयर इंडिया बोइंग 787 जिसे ‘वीटी-एएनबी’ नाम दिया गया, केवल 11 साल पुराना था, जबकि कतर ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप को जो 747-8 उपहार में दिया वह 13 साल पुराना था, इसलिए आयु तो कोई मुद्दा है ही नहीं विमान ने टेक-ऑफ के कुछ ही लम्हे बाद लगभग 800 फीट की ऊंचाई पर पॉवर कैसे खो दिया, यह रहस्य है। अनुमान यह है कि विमान से कोई पक्षी टकरा गया था। इसके अतिरिक्त यह भी थ्योरी है कि नष्ट हुए हवाईजहाज के लैंडिंग गियर व विंग फ्लैप्स ‘उचित’ स्थान पर नहीं थे। लेकिन तेजी से विकास करे एविएशन बाजार को निश्चित व स्पष्ट उत्तर चाहिए। बोइंग, जो पिछले साल के 737 मैक्स क्रैश से लेकर पिछले साल की स्टारलाइनर असफलता (जिसमें सुनीता विलियम्स व बुच विलमोर आईएसएस पर अटक गये थे) विवादों में फंसा है को बहुत जल्द स्पष्टीकरण देना चाहिए।
वैसे इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि 12 जून 2025 तक 787 ड्रीमलाइनर का एकदम साफ-सुथरा रिकॉर्ड था। अपने 14 वर्ष के इतिहास में 1,175 जहाज, रोजाना 2,100 उड़ान, 1 बिलियन यात्रियों को ले जाने के बावजूद कोई ड्रीमलाइनर दुर्घटनाग्रस्त नहीं हुआ लेकिन यह भी सच है कि इस दौरान ड्रीमलाइनर कीे फ्यूल लीक से लेकर लिथियम बैटरियों में धुआं उठा और वार्निंग मिली कि इसकी कंप्यूटर चिप को हैक किया जा सकता है। बोइंग कर्मचारियों ने 2019 में खराब उत्पादन की शिकायत की और पिछले साल एक मुखबिर ने दावा किया कि ड्रीमलाइनर में स्ट्रक्चरल कमियां हैं जिसकी वजह से वह बीच उड़ान में बिखर सकता है।
3 वर्ष पहले एयर इंडिया टाटा ग्रुप के नियन्त्रण में आया और सर्विस फ्रंट पर उसे अनेक शर्मिंदगियों का सामना करना पड़ा है जैसे कि टॉयलेट की बंद नालियां फटी सीट आदि। लेकिन यह दुर्घटना सुरक्षा के महत्वपूर्ण मुद्दे को उठाती है। इसलिए सभी को एएआईबी, बोइंग एयर इंडिया को मिलकर काम करना होगा अमेरिका के फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन ने भी मदद करने की पेशकश की है। गहन जांच के बाद सुधारात्मक कदम उठाये जायें, तभी लोगों को यकीन हो सकेगा कि यातायात का सबसे सुरक्षित तरीका उड़ान भरना ही है। इस हादसे से पहले तक भारत में इस शताब्दी में 230 हवाई यात्रियों की मौत हुई थी, लेकिन हमारी सड़कों पर रोजाना 434 लोग मरते हैं। इसके बावजूद इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि भारत के सिविल एविएशन में जल्द स्ट्रक्चरल सुधार की जरूरत है। यात्री ट्रैफिक के हिसाब से भारत विश्व का तीसरा सबसे बड़ा एवियेशन बाजार है। एवियेशन केवल ट्रांसपोर्ट का जरिया नहीं है बल्कि विश्वास व मानवता की बुनियादों पर खड़ा समुदाय है।