नागपुर मेट्रो स्टेशन का मामला (सौ. डिजाइन फोटो)
नवभारत डिजिटल डेस्क: पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘महाराष्ट्र के वर्धा जिले के सेलू गांव की रहनेवाली 14 वर्षीय लड़की ने जब नागपुर मेट्रो ट्रेन के सीताबर्डी इंटरचेंज स्टेशन के काउंटर पर साउथ कोरिया के लिए टिकट मांगा तो वहां बैठा कर्मचारी हैरान रह गया. उसने दोबारा पूछा कि कहां जाना है तो लड़की ने फिर साउथ कोरिया कहा. इस अजीबोगरीब ख्वाहिश को देखते हुए उसे स्टेशन आफिस में बुलाकर पूछताछ की गई तो पता चला कि वह अपने अभिभावकों से छोटे-मोटे झगड़े के बाद गांव से ट्रेन में बैठकर नागपुर आ गई।
उसका इरादा एयरपोर्ट साउथ मेट्रो स्टेशन जाना था लेकिन उसने साउथ कोरिया कह दिया. उसे बताया गया कि मेट्रो ट्रेन सिर्फ नागपुर के लिए है, यह विदेश नहीं जाती. बाद में सेलू से उसके माता-पिता को बुलाकर उसे वापस सौंप दिया गया. यह बताइए निशानेबाज कि उस लड़की के दिमाग में साउथ कोरिया का नाम कैसे आया? वह साउथ इंडिया, साउथ अमेरिका, साउथ पोल भी तो कह सकती थी.’ हमने कहा, ‘इन दिनों नेटफ्लिक्स और मोबाइल पर साउथ कोरिया की फिल्में काफी लोकप्रिय हो रही हैं जिसे युवा पीढ़ी शौक से देखती है।
इसके अलावा शादियों में कोरियोग्राफर बुलाए जाते हैं जो बॉलीवुड फिल्मों के फड़कते गीतों पर महिलाओं को डांस की प्रैक्टिस कराते हैं. दूकानों में कैंची, नेलकटर और लाइटर पर भी मेड इन कोरिया लिखा रहता है. इसलिए कोरिया शब्द उस लड़की के दिमाग में आ गया होगा.’ पड़ोसी ने कहा, ‘निशानेबाज, उस लड़की की वर्ल्ड एटलस में नक्शा दिखाकर नार्थ और साउथ कोरिया के बारे में समझाना चाहिए ताकि पता चले कि वह कहां जाने की बात कर रही थी. उसे 1950 के कोरिया युद्ध का इतिहास बताया जा सकता है।
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उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग की सनक की जानकारी दी जा सकती है. साउथ कोरिया में अमेरिका का प्रभाव, आजादी और खुलापन है जबकि नार्थ कोरिया में गरीबी, गुलामी और पिछड़ापन है और लोगों को तानाशाही में डरकर जीना पड़ता है. यदि वह लड़की साउथ कोरिया घूमना चाहती है तो स्वयंसेवी संगठनों या सरकार को उसका अरमान पूरा करने में मदद देनी चाहिए. कहीं जाने या कुछ पाने की प्रबल इच्छा हो तो सब कुछ संभव हो जाता है. रामायण में लिखा है- जो इच्छा करिहो मन माहीं, प्रभु प्रताप कछु दुर्लभ नाहीं।’
लेख- चंद्रमोहन द्विवेदी के द्वारा