तैलंग स्वामी जयंती,(सौ.सोशल मीडिया)
Tailang Swami Jayanti : श्री तैलंग स्वामी की जयंती हर साल पौष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि के दिन मनाई जाती है। इस साल यह जयंती 10 जनवरी 2025, शुक्रवार को मनाई जाएगी। आपको जानकारी के लिए बता दें कि, तैलंग स्वामी को हिन्दू धर्म में एक दिव्य योगी के रूप में जाना जाता है, जिनके अद्वितीय तप और अध्यात्मिक शक्तियों के कारण उन्हें भगवान शिव का अवतार माना जाता था।
तैलंग स्वामी ने अपनी योग साधना और गहन ध्यान द्वारा सैकड़ों वर्षों तक जीवन व्यतीत किया। कहा जाता है कि वे अपने सम्पूर्ण जीवन में न केवल अपने शिष्यों, बल्कि समस्त समाज के लिए एक प्रेरणा स्रोत रहे। आइए जानते हैं साल 2025 में श्री तैलंग स्वामी की जयंती कब मनाई जाएगी और इसके जीवन से जुड़े महत्वपूर्ण बातें-
तैलंग स्वामी जयंती तिथि और शुभ मुहूर्त
तैलंग स्वामी जयंती 2025 10 जनवरी को मनाई जाएगी। हिंदू चंद्र कैलेंडर के अनुसार, तैलंग स्वामी जयंती का उत्सव पौष माह में शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है। तैलंग स्वामी जयंती के लिए एकादशी तिथि 09 जनवरी, 2025 को 12:22 बजे शुरू होगी और 10 जनवरी, 2025 को 10:19 बजे तक रहेगी।
तैलंग स्वामी से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें
तैलंग स्वामी का जन्म आंध्र प्रदेश के विजयनगरम जिले में स्थित होलिया नामक स्थान पर हुआ था। उनका जन्म नाम शिवराम रखा गया था। उनके माता-पिता भगवान शिव के परम भक्त थे, इसलिए उनके नाम में भी भगवान शिव की उपस्थिति को दर्शाया गया। तैलंग स्वामी का बचपन धार्मिक माहौल में बीता, जिससे उनके जीवन में अध्यात्मिकता और धर्म का गहरा प्रभाव पड़ा।
तैलंग स्वामी को अपने जीवनकाल में कई चमत्कार करने वाले योगी के रूप में जाना जाता था। लोगों ने तैलंग स्वामी को गंगा के जल पर चलते हुए, पानी में बैठकर ध्यान करते हुए और भूख-प्यास को पूरी तरह त्यागते हुए देखा। उनके बारे में कहा जाता है कि उन्होंने लगभग 280 वर्षों तक जीवन व्यतीत किया, जो अपने आप में एक अद्वितीय तथ्य है।
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तैलंग स्वामी के अनमोल विचार
तैलंग स्वामी के अनुसार, मोह ही दुख और दुख बंधन का मुख्य कारण है।
जिस क्षण व्यक्ति संसार और ईश्वर में कोई अंतर नहीं दिखता, उसका जीवन सुखी और आनंदमय हो जाता है।
जिस व्यक्ति के मन में कोई इच्छा नहीं होती, उनके लिए यह धरती स्वर्ग बन जाती है।
जब लोग आध्यात्मिक रूप से अधिक सक्रिय होने लगेंगे, तो उन्हें अपने कष्टों से छुटकारा मिलने लगेगा।
संतुष्ट व्यक्ति सबसे अमीर व्यक्ति होता है और लालची व्यक्ति गरीब होता है।
इंद्रियां ही व्यक्ति की शत्रु हैं और नियंत्रित इंद्रियां ही सच्ची मित्र हैं।
गुरू वही हो सकता है, जो मोह, माया से मुक्त हो और अहंकार से परे हो।