महावीर जयंती (सौ.सोशल मीडिया)
Mahavir Jayanti 2025: महावीर जयंती जैन धर्म का प्रमुख त्योहार है। यह जयंती हर साल चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाई जाती है। इस साल 2025 में 10 अप्रैल, गुरुवार को महावीर जयंती मनाई जाएगी। जैसा कि आप जानते है कि भारत विविधता से भरा हुआ देश है जहां हर धर्म के पर्व और त्योहारों को पूरे श्रद्धा-भाव के साथ मनाया जाता है। इन्हीं महत्वपूर्ण पर्वों में एक है महावीर जयंती, जो विशेष रूप से जैन धर्म के अनुयायियों द्वारा मनाया जाता है।
यह पर्व जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है। भगवान महावीर ने अपने जीवन में जो उपदेश दिए, वे आज भी समाज को नैतिकता, करुणा और अहिंसा के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देते हैं। आइए जानते हैं इस साल महावीर जयंती किस दिन मनाई जाएगी।
कब मनाई जाएगी महावीर जयंती
साल 2025 में महावीर जयंती का पर्व 10 अप्रैल, गुरुवार के दिन मनाया जाएगा। यह तिथि हिंदू पंचांग के चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को आती है। पंचांग के अनुसार त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 9 अप्रैल की रात 10:55 बजे होगी और इसका समापन 11 अप्रैल को सुबह 1:00 बजे होगा। इसी आधार पर 10 अप्रैल को महावीर जयंती मनाई जाएगी।
जानिए क्या है महावीर जयंती का महत्व
महावीर जयंती का पर्व जैन धर्म के संस्थापक को समर्पित होता है। उन्होंने अपने जीवनकाल में अहिंसा और आध्यात्मिक स्वतंत्रता का प्रचार किया और मनुष्य को सभी जीवों का सम्मान एवं आदर करना सिखाया। उनके द्वारा दी गई सभी शिक्षाओं और मूल्यों ने जैन धर्म नामक धर्म का प्रचार-प्रसार किया था। भगवान महावीर का जन्म उस युग में हुआ था जिस वक्त हिंसा, पशु बलि, जातिगत भेदभाव आदि अपने जोरों था। उन्होंने सत्य और अहिंसा जैसी विशेष शिक्षाओं के द्वारा दुनिया को सही मार्ग दिखाने का प्रयास किया। उन्होंने अपने कई प्रवचनों से मनुष्यों का सही मार्गदर्शन किया।
वर्तमान समय से करीब ढाई हजार साल पहले अर्थात ईसा से 599 वर्ष पहले वैशाली गणतंत्र के क्षत्रिय कुंडलपुर मैं राजा सिद्धार्थ और उनकी पत्नी रानी त्रिशला के गर्भ से भगवान महावीर का जन्म हुआ था। वर्तमान युग में कुंडलपुर बिहार के वैशाली जिले में स्थित है। इनके बचपन का नाम वर्धमान था जिसका तात्पर्य है “जो बढ़ता है”, साथ ही महावीर को वीर, अतिवीर और सहमति के नाम भी जाना जाता है।
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भगवान महावीर ने 30 वर्ष की आयु में सांसारिक मोह-माया और राज वैभव का त्याग कर दिया था और आत्म कल्याण एवं संसार कल्याण के लिए संन्यास ले लिया था। ऐसा भी माना जाता है कि 12 साल की कठोर तपस्या के बाद भगवान महावीर को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी और उन्हें 72 वर्ष की आयु में पावापुरी में मोक्ष की प्राप्ति हुई थी।