
ये है सोम प्रदोष व्रत कथा (सौ.सोशल मीडिया)
Som Pradosh Vrat Katha: आज 3 नवंबर को कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी है। इस कारण आज के दिन ही कार्तिक माह का अंतिम प्रदोष व्रत है। शास्त्रों के अनुसार, हर माह में दो बार यानी कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष का व्रत रखा जाता है। जिस दिन ये व्रत पड़ता है, उस दिन के वार के नाम पर ही ये व्रत जाना जाता है। आज सोमवार है, इसलिए आज सोम प्रदोष व्रत है। प्रदोष व्रत पर विधि-विधान से भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है साथ ही व्रत रखा जाता है।
लेकिन, कहा जाता है कि, इस दिन पूजा के दौरान व्रत कथा का पाठ अवश्य करना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि अगर पूजा के दौरान व्रत कथा पढ़ी जाती है, तो जीवन में सुख-समृद्धि का वास बना रहता है। वहीं आपको बता दें, बिना व्रत कथा पढ़े प्रदोष व्रत की पूजा अधूरी मानी जाती है। ऐसे में आइए जान लेते हैं सोम प्रदोष व्रत की कथा-
सोम प्रदोष व्रत से जुड़ी पौराणिक कथा के अनुसार, किसी नगर में एक ब्राह्मणी रहा करती थी। उसके पति का देहांत हो चुका था। पति की मृत्यु के बाद ब्राह्मणी अकेली हो गई थी। ब्राह्मणी और उसका पुत्र भिक्षा मांगकर अपना गुजारा करते था, क्योंकि किसी भी प्रकार का रोजगार उनके पास नहीं था। ब्राह्मणी बहुत बुरे हालात में थी, लेकिन वो प्रदोष का व्रत हमेशा किया करती थी। ऐसे ही उसका और उसके पुत्र का जीवन चल रहा था।
एक बार ब्राह्मणी भिक्षा मांगकर वापस घर को लौट रही थी, तभी उसको एक युवक रास्ते में दिखा, जोकि घायल था। घायल युवक को ब्राह्मणी अपने घर ले आई। यह युवक विदर्भ राज्य का राजकुमार था जो शत्रुओं से बच रहा था। उसके पिता को बंदी बना लिया गया था। राजकुमार गरीब ब्राह्मणी और उसके पुत्र के साथ रहने लगा। एक बार एक गंदर्भ कन्या की नजर राजकुमार पर पड़ी और वो उस पर मोहित हो गई।
गंदर्भ कन्या का नाम अंशुमति था। उसने अपने माता-पिता को राकुमार के बारे में बताया। फिर एक दिन स्वप्न में अंशुमति के माता-पिता को भगावन शिव ने आदेश दिए कि वो अपनी पुत्री का विवाह राजकुमार से करें।
इसके बाद अंशुमति के माता-पिता ने राजकुमार के साथ उसका विवाह करा दिया। इसके बाद गंदर्भ राजा के साथ मिलकर राजकुमार ने अपने शत्रुओं पर विजय हासिल कर ली।
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इसके बाद राजकुमार ने ब्राह्मणी के पुत्र को अपने राज्य का राजकुमार बना दिया। ब्राह्मणी के अच्छे दिनों की शुरुआत हो गई। ये सब ब्राह्मणी द्वारा किए जा रहे प्रदोष व्रत के प्रभाव से हुआ। महादेव ने जैसे ब्राह्मणी और उसके पुत्र पर कृपा की वैसे ही वो सभी का कल्याण करते हैं।






