
सोम प्रदोष व्रत महाशुभ योग (सौ.सोशल मीडिया)
 
    
 
    
Som Pradosh Vrat November mai kab hai: शिव भक्तों के लिए प्रदोष व्रत बड़ा महत्व रखता है। यह शुभ एवं पावन तिथि भगवान शिव और मां पार्वती की आराधना के लिए बहुत ही शुभ माना गया है। प्रदोष व्रत हर महीने दो बार, कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर मनाया जाता है।
इस बार कार्तिक महीने की प्रदोष व्रत 3 नवंबर 2025, सोमवार को मनाई जाएगी। ज्योतिषयों के अनुसार, यह व्रत भगवान शिव की कृपा पाने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है और इसे ‘त्रयोदशी व्रत’ भी कहते हैं।
आपको बता दें, इस बार का सोम प्रदोष व्रत इसलिए भी खास है, क्योंकि इस दिन एक साथ तीन महाशुभ योग बन रहे है, क्योंकि इस दिन रवि, शिववास और हर्षण जैसे कई महाशुभ योगों का निर्माण हो रहा है।
इन अद्भुत संयोगों में की गई पूजा से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है, जीवन में सुख-सौभाग्य में वृद्धि होती है और आरोग्यता की प्राप्ति होती है। इसलिए इस बार का सोम प्रदोष व्रत ज्यादा खास है। आइए जानते हैं इस बारे में –
ज्योतिष गणना के अनुसार, इस बार का सोम प्रदोष व्रत बेहद खास होने वाला है, क्योंकि 3 नवंबर को सोम प्रदोष व्रत के दिन कई अत्यंत शुभ और दुर्लभ योग बन रहे हैं, जिसके कारण इस दिन व्रत और पूजा करने वाले भक्तों को दोगुना पुण्य फल मिल सकता है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, सोमवार के दिन त्रयोदशी तिथि पड़ने से इसे ‘सोम प्रदोष’ कहा जाता है। यह व्रत विशेष रूप से चंद्रमा से संबंधित दोषों को दूर करने, संतान प्राप्ति और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए रखा जाता है।
यह योग अत्यंत शुभ माना जाता है। इस योग में किए गए कार्य में सफलता मिलने की संभावना बढ़ जाती है और यह रोगों को दूर करने में भी सहायक माना जाता है।
यह योग तब बनता है जब भगवान शिव कैलाश पर या नंदी पर निवास करते हैं। शिववास में रुद्राभिषेक या शिव पूजा करने से सभी मनोकामनाएं शीघ्र पूर्ण होती है। मान्यता है कि 3 नवंबर को शिववास है, जिससे भक्तों को महादेव की विशेष कृपा प्राप्त होगी।
ज्योतिष में हर्षण योग को भी अत्यंत शुभ माना गया है, जिसका अर्थ है खुशी और प्रसन्नता। इस योग में किए गए धार्मिक कार्यों का फल सुखद होता है और जीवन में आनंद का संचार होता है।
इसे भी पढ़ें–‘देवउठनी एकादशी’ के दिन क्या न खाएं, जानिए विधिवत पूजा के पुण्य-प्रताप की महिमा
सोमवार भगवान शिव का प्रिय दिन माना गया है और प्रदोष तिथि भी शिवभक्तों के लिए विशेष फलदायी होती है। मान्यता है कि इस दिन सच्चे मन से पूजा और व्रत करने से भगवान शिव और माता पार्वती भक्तों के सभी दुख दूर कर उनकी हर इच्छा पूरी करते हैं विवाह योग्य कन्याओं को योग्य वर की प्राप्ति होती है, दांपत्य जीवन में मधुरता आती है और परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।






