आत्महत्या करने वालों के साथ नरक में क्या होता है ( सौ.सोशल मीडिया)
Garuda Puran: हिन्दू धर्म में कुल 18 पुराणों का वर्णन है। इन 18 महापुराणों में गरुड़ पुराण को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। गरुड़ पुराण एक मात्र ऐसा ग्रंथ है जो मनुष्य के कर्म और उसके आधार पर मिलने वाले अच्छे और बुरे परिणाम को बताता है।
ज्योतिषयों के अनुसार, ये पुराण मनुष्य को अच्छे कर्म करते हुए जीवन जीने की सलाह देता है साथ ही ये भी बताया है कि अधर्म या पाप कर्म करने वालों के लिए ईश्वर ने क्या दंड निर्धारित किया है। गरुड़ पुराण में भगवान विष्णु की भक्ति और उन्हें प्रसन्न करने वाले शुभ कर्मों का भी जिक्र है।
ज्योतिषयों का मानना है कि, इस ग्रंथ में पाप कर्म के अनुसार उसके दंड का भी वर्णन किया गया है। इन्हीं में से एक है आत्महत्या। जो लोग आज अपना रहे है। आत्महत्या एक महापाप की श्रेणी में आता है।
ईश्वर द्वारा दिए गए अमूल्य मानव शरीर को नुकसान पहुंचाकर आत्मदाह करने वाले को पापी माना गया है। ऐसे लोगों की अकालमृत्यु होने के बाद बुरी दशा होती है। ऐसे में आइए जानते है भगवताचार्य पंडित राघवेंद्र शास्त्री से गरुड़ पुराण में आत्महत्या करने वालों के साथ नरक में क्या होता है।
आत्महत्या करने वालों के साथ नरक में क्या होता है जानिए
पंडित राघवेंद्र शास्त्री के अनुसार, गरुड़ पुराण के अनुसार जो लोग अपने जीवन के 7 चक्रों को पूरा करने से पहले ही मृत्यु को प्राप्त हो जाते है उनकी आत्मा को भयंकर कष्ट झेलने पड़ते है। जो लोग अपने समय से पहले ही मर जाते है जैसे आग में जलकर, फांसी लगाकर, जहर खाकर, सांप के काटने से आदि ये सभी लोग अकालमृत्यु की श्रेणी में आते है।
राघवेंद्र शास्त्री कहते है कि, मनुष्य शरीर आसानी से नहीं मिलता है। जीव को मनुष्य शरीर पाने के लिए 84 लाख योनियों में भटकना पड़ता है तब जाकर ईश्वर कृपा कर उसे मनुष्य शरीर प्रदान करते है।
ऐसे अनमोल शरीर को नष्ट करने पर उस पापी को बहुत पीड़ा भोगनी पड़ती है। गरुड़ पुराण के अनुसार, जो मनुष्य आत्महत्या करता है उसे 13 अलग अलग जगहों में भेजा जाता है साथ ही उसे 7 नर्कों में से सबसे भयंकर नर्क में 60,000 साल बिताने पड़ते है।
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आम तौर पर, मृत्यु के बाद के 30 या 40 दिन के भीतर आत्मा नया शरीर ले लेती है। परन्तु जिन मनुष्य ने आत्महत्या की है वह आत्माएं अनिश्चित काल तक भटकती रहती है। ऐसे पापी आत्मा को न नर्क में जगह दी जाती है और है स्वर्ग में ये आत्माएं लोक परलोक के बीच ही भटकती रहती हैं। इसलिए, हिन्दू धर्म में आत्महत्या को महापाप की श्रेणी में रखा जाता है।