छोटी प्रतिमाओं का विसर्जन होता है क्या (सौ.सोशल मीडिया)
जैसा कि, गणेश चतुर्थी के साथ 10 दिनों के गणेश उत्सव का दौर जहां पर चल रहा है वहीं पर इन दिनों घरों से लेकर गली-मोहल्ले में बप्पा की पूजा-अर्चना का दौर जारी है। महाराष्ट में गणेशोत्सव का अच्छा खासा माहौल होता है जिसके बाद कई जगहों पर गणेश प्रतिमाओं का विसर्जन भी होने लगता है। जैसे ही श्रीगणेश जी की स्थापना के नियम होते है वैसे ही विसर्जन के नियम भी होते है। बड़ी प्रतिमाओं को तो विसर्जित किया जाता है लेकिन कई बार सवाल सामने आता कि, छोटी प्रतिमाओं को क्या घर में ला सकते है।
महाराष्ट्र से जहां पर गणेशोत्सव का नाता है वहीं पर इसे मनाने की शुरुआत भी इस राज्य से ही मानी जाती है। 1893 में लोकमान्य तिलक ने गणेशोत्सव को सार्वजनिक रूप से मनाया गया था, उस दौरान इस उत्सव को मनाने का उद्देश्य समाज को एकजुट करने से था। वहीं पर ब्रिटिश शासन के खिलाफ भारतीयों में जागरूकता फैलाई जा सके।तब से यह परंपरा हर साल गणेशोत्सव के बाद मूर्ति विसर्जन के साथ पूरी होती है। धार्मिक दृष्टिकोण से माना जाता है कि भगवान गणेश धरती पर कुछ समय के लिए आते हैं और फिर अपने लोक में वापस लौट जाते हैं।
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यहां पर गणपति विसर्जन के धार्मिक महत्व के बारे में जानें तो, भगवान गणेशजी की पूजा पूरी होने के बाद जल में विसर्जित करने की धार्मिक परंपरा होती है। इसके अनुसार, जीवन के चक्र—प्रारंभ और अंत—का प्रतीक है. विसर्जन यह संदेश देता है कि संसार में हर वस्तु अस्थायी है, और अंततः हमें परमात्मा में विलीन होना है।
यहां पर आप घर में छोटी प्रतिमाओं को घर में ला सकते या नहीं इसके नियम ज्योतिषचार्य ने दिए है। ज्योतिषाचार्य के अनुसार, धार्मिक दृष्टिकोण से गणेश मूर्ति की स्थापना एक निश्चित समय के लिए की जाती है और इसे विधिवत रूप से विसर्जित करना जरूरी होता है। अगर आपने घर में गणेश जी की स्थापना की है तो इसका विसर्जन भी किया जाना चाहिए। अगर ऐसा नहीं किया जाता, तो यह धार्मिक मान्यताओं के अनुसार दोष का कारण बन सकता है. हालांकि, यदि मूर्ति को केवल सजावट या सामान्य पूजन के उद्देश्य से रखा जाता है और विधिवत स्थापना या विसर्जन नहीं की जाती इसका दोष भी नहीं लगता है।