
आदिवासी विकास प्रकल्प अधिकारी के रवैये से लाभार्थी वंचित (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Pusad Tribal Development Project: पुसद तहसील के एकात्मिक आदिवासी विकास प्रकल्प कार्यालय में गंभीर अनियमितताओं और मनमानी के आरोप लाभार्थियों द्वारा लगाए गए हैं। शासन की योजना के तहत आदिवासी किसानों को 5 एचपी पावर टिलर 85 प्रतिशत अनुदान पर प्रदान किए जाने का प्रावधान है। पात्र लाभार्थियों का चयन होने के बाद भी आज तक उन्हें योजना का लाभ प्राप्त नहीं हुआ है। लाभार्थियों का आरोप है कि कार्यालय के कुछ कर्मचारी और उनके एजेंट योजना का लाभ देने के बदले सीधे पैसों की मांग कर रहे हैं। इसे लेकर लाभार्थियों ने गंभीर शिकायत दर्ज की है।
शासन द्वारा जारी अधिकृत चयन पत्र में लक्ष्मीबाई देविदास डाखोरे, गजानन फकीरराव कुरकुटे, पंकज वंजारे सहित कई किसानों को पात्र घोषित किया गया था। वरिष्ठ कार्यालय द्वारा जारी लिखित आदेश में इन्हें 5 एचपी पावर टिलर का लाभ दिए जाने की पुष्टि की गई है, लेकिन पुसद के एकात्मिक आदिवासी विकास प्रकल्प कार्यालय ने लाभ देने से इंकार कर दिया है।
लाभार्थियों का आरोप है कि अधिकृत पत्र मिलने के बाद भी कर्मचारी “लाभ चाहिए तो पैसे दो” जैसी खुली मांग कर रहे हैं। कुछ दलाल भी कार्यालय में सक्रिय बताए जा रहे हैं, जो लाभार्थियों से दलाली लेकर बोगस लाभार्थियों को योजना का लाभ दिलवा रहे हैं। इससे कार्यालय की कार्यप्रणाली और विश्वसनीयता पर गंभीर प्रश्नचिह्न खड़ा हो गया है।
लाभार्थियों का कहना है कि अधिकृत पत्र मिलने के बावजूद लाभ रोकना शासन नियमों का सरासर उल्लंघन है। 24 जून 2025 को जारी पत्र के माध्यम से जिन लाभार्थियों को योजना मंजूर होने की आधिकारिक जानकारी दी गई थी, उन्हें लाभ न देना नियमभंग और अधिकारों का दुरुपयोग माना जा रहा है।
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लाभार्थियों ने इस पूरे प्रकरण की तात्कालिक जांच की मांग प्रकल्प संचालक, जिलाधिकारी और आदिवासी विकास विभाग से की है। अब वरिष्ठ अधिकारी क्या निर्णय लेते हैं, इस पर सभी की निगाहें लगी हुई हैं। इस संबंध में जब प्रकल्प अधिकारी अमोल मेटकर से फोन पर संपर्क किया गया, तो उन्होंने कहा कि वे वर्तमान में अमरावती में एक मीटिंग में हैं। उन्होंने बताया कि मामले की जांच कर जानकारी बाद में उपलब्ध कराई जाएगी।






