
Raja Yuvanashva (source. AI)
Mahabharata Story Male Pregnancy: महाभारत से जुड़ी कई ऐसी कथाएं हैं, जिनके बारे में या तो लोगों को कम जानकारी है या फिर वे पूरी तरह अनजान हैं। इन्हीं रहस्यमयी और कम चर्चित कथाओं में से एक है राजा युवनाश्व की कहानी। मशहूर लेखक और माइथोलॉजी विशेषज्ञ देवदत्त पटनायक ने हाल ही में अपनी इंस्टाग्राम स्टोरी के जरिए इस अद्भुत प्रसंग को साझा किया, जिसमें एक पुरुष राजा के गर्भवती होने और स्वयं संतान को जन्म देने का वर्णन मिलता है।
देवदत्त पटनायक के अनुसार, जैसे रामायण में राजा दशरथ को संतान न होने की चिंता थी, वैसे ही महाभारत काल में राजा युवनाश्व भी उत्तराधिकारी को लेकर व्याकुल थे। इसी चिंता के चलते उन्होंने पुत्र प्राप्ति के लिए यज्ञ करवाया। यज्ञ की समाप्ति पर उन्हें एक पवित्र द्रव्य ‘चरु’ दिया गया, जिसे रानी को पिलाया जाना था। लेकिन नियति ने कुछ और ही तय कर रखा था।
कथा के अनुसार, यज्ञ के बाद राजा युवनाश्व जंगल में भटक गए। प्यास से व्याकुल राजा ने अनजाने में वही पवित्र जल पी लिया, जो उनकी पत्नी के लिए निर्धारित था। इसके बाद जो घटित हुआ, वह आज के समय में कल्पना जैसा लगता है, लेकिन महाभारत की कथा में इसे स्वाभाविक रूप से स्वीकार किया गया है। उस पवित्र द्रव्य के प्रभाव से राजा युवनाश्व गर्भवती हो गए।
पटनायक बताते हैं कि राजा के गर्भ में शिशु सामान्य रूप से विकसित होता रहा। जब प्रसव का समय नजदीक आया, तो राजा चिंता में पड़ गए कि अब यह कैसे संभव होगा। तब उन्होंने देवताओं का आह्वान किया। महाभारत की कथाओं के अनुसार, या तो देवराज इंद्र ने या फिर अश्विनी कुमारों ने राजा की जांघ से उस बालक का जन्म करवाया। इस बालक का नाम मंधाता रखा गया, जो आगे चलकर एक महान राजा बने।
कहानी यहीं समाप्त नहीं होती। जन्म के बाद शिशु भूख से रोने लगा, लेकिन राजा उसकी भूख मिटाने में असमर्थ थे। तब देवराज इंद्र ने आगे आकर समझाया कि देवताओं की नसों में रक्त नहीं, बल्कि दूध प्रवाहित होता है। इसके बाद इंद्र ने अपना अंगूठा काटकर शिशु को दूध पिलाया। देवदत्त पटनायक इस कथा के अंत में कहते हैं कि शायद इसी कारण आज भी बच्चे अंगूठा चूसते हैं, मानो उन्हें दूध की उम्मीद हो।
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इस कहानी के सामने आते ही सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाओं की बाढ़ आ गई। एक यूजर ने लिखा, “क्या सच में यह संभव है?” वहीं दूसरे ने कहा, “महाभारत में एक पुरुष ने गर्भ धारण किया था।” एक अन्य यूजर ने टिप्पणी की कि “प्राचीन ग्रंथों में ऐसे प्रगतिशील विचार मौजूद थे, जिन पर आधुनिक समाज आज भी बहस करता है।”
महाभारत के नारद पुराण और वन पर्व में राजा युवनाश्व और मंधाता की इस कथा का उल्लेख मिलता है, जो भारतीय मिथकों की गहराई और विविध सोच को दर्शाता है।






