
सिंदूर (फोटो-सोर्स,सोशल मीडिया)
नवभारत डेस्क: 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 निर्दोष लोगों की जान चली गई थी। इस हमले के जवाब में भारत ने 7 मई को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में 9 आतंकी ठिकानों पर एयर स्ट्राइक कर करारा जवाब दे दिया। इस ऑपरेशन में लगभग 100 आतंकियों के मारे जाने की खबर है। लेकिन अब लोगों के मन में यह सवाल उठ रहा है कि इस जवाबी कार्रवाई का नाम ‘सिंदूर’ ही क्यों रखा गया। ऐसे चलिए हम आपको आज इसके पीछे का महत्व बताते हैं….
दरअसल, भारतीय संस्कृति में सिंदूर को शक्ति, समर्पण और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। हिंदू धर्म में सिंदूर का उपयोग विशेष रूप से विवाहित स्त्रियों द्वारा किया जाता है, जो उनके सुहाग और अखंड सौभाग्य का प्रतीक होता है। यह सिर्फ श्रृंगार का हिस्सा नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक और सांस्कृतिक भाव है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, माता पार्वती ने भगवान शिव से विवाह के बाद सबसे पहले अपनी मांग में सिंदूर भरा था। यह सिंदूर उनके प्रेम, समर्पण और शिव के प्रति भक्ति का प्रतीक बना। यही नहीं, सिंदूर को मां दुर्गा की शक्ति का स्वरूप भी माना गया है। यह लाल रंग ऊर्जा, साहस और जीवन शक्ति को दर्शाता है।
रामायण में भी सिंदूर का महत्व बताया गया है। एक कथा के अनुसार, माता सीता प्रतिदिन अपनी मांग में सिंदूर लगाती थीं ताकि भगवान राम की लंबी उम्र हो। जब हनुमान जी ने इसका कारण पूछा तो माता सीता ने बताया कि यह श्रीराम की खुशहाली और लंबी उम्र के लिए है। इस उत्तर से प्रभावित होकर बजरंगबली ने अपने पूरे शरीर पर सिंदूर लगा लिया था।
आपको बता दें, भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का नाम देकर यह संदेश दिया है कि यह हमला सिर्फ सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि उस संस्कृति की रक्षा के लिए है जो जीवन, प्रेम और शक्ति को सर्वोच्च मानती है। यह एक श्रद्धांजलि है उन मासूमों के लिए, जिनकी जान आतंकवाद ने ली, और एक संकल्प है और आतंक के खिलाफ अंतिम लड़ाई का।






