
Nagkhund से क्या होता है। (सौ. X)
Ancient Pilgrimage Places Mirzapur Nagkund: विंध्य पर्वत की गोद में बसे आध्यात्मिक शहर मिर्जापुर में कई प्राचीन और रहस्यमयी स्थल मौजूद हैं, जिनका संबंध पुराणों और लोकमान्यताओं से गहराई से जुड़ा है। इन्हीं पवित्र स्थलों में से एक है आदिशक्ति मां विंध्यवासिनी धाम के पास स्थित प्राचीन नागकुंड, जिसे चमत्कारों का कुंड भी कहा जाता है। मान्यता है कि यहां स्नान करने से कालसर्प दोष, स्वप्न में सर्प आने जैसी परेशानियां तुरंत दूर हो जाती हैं।
पं. अनुपम महाराज के अनुसार यह नागकुंड लगभग 2500 वर्ष पुराना है, जिसे नागवंशी राजा द्वारा बनवाया गया था। मां विंध्यवासिनी को नागवंशियों की कुलदेवी माना जाता है और कहा जाता है कि प्राचीन काल में नागवंशी इस कुंड में स्नान कर ही मां के दरबार में दर्शन के लिए जाया करते थे। यही कारण है कि इस कुंड को पाताल लोक जाने का मार्ग भी कहा जाता है।
नागकुंड में 52 घाट बने हैं, जहां तक सीढ़ियों के माध्यम से पहुंचकर भक्त स्नान और पूजन कर सकते हैं। नाग पंचमी के दिन यहां हजारों की संख्या में श्रद्धालु आकर पवित्र स्नान करते हैं।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नागकुंड में स्नान करने से व्यक्ति को कालसर्प दोष, स्वप्न दोष, सर्प भय जैसी समस्याओं से मुक्ति मिलती है। पं. अनुपम महाराज बताते हैं कि “जो भी व्यक्ति सर्प भय से ग्रस्त हो, उसे इस पवित्र कुंड में स्नान अवश्य करना चाहिए, इससे उसे भय से तत्काल मुक्ति मिलती है।” कुंड के चारों ओर कुआं जैसा संरचना क्षेत्र है, जिसमें भक्त स्नान कर पूजा-अर्चना करते हैं। माना जाता है कि प्राचीन समय में नागवंशियों का आवागमन इसी मार्ग से होता था।
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मान्यता यह भी है कि कंतित नगरी के दानव राज इसी नागकुंड से कहीं भी आते-जाते थे। लोककथाओं में वर्णन मिलता है कि गरीब लोग यहां आकर शादी-विवाह में मदद मांगते थे, तो इस कुंड से बर्तन और खाद्य सामग्री स्वतः प्रकट हो जाती थी। उपयोग के बाद वे लोग सबकुछ वापस कुंड में डालकर चले जाते थे। नाग पंचमी पर यहां भव्य पूजा और आरती का आयोजन होता है, जिसमें दूर-दूर से आए भक्त शामिल होते हैं और कुंड की दिव्यता का अनुभव करते हैं।






