(फोटो सोर्स सोशल मीडिया)
गणेशोत्सव की शुरुआत आज शनिवार, 7 सितंबर 2024 से हो चुकी है। 10 दिन तक चलने वाले इस महोत्सव का समापन ‘अनंत चतुर्दशी’ के दिन होगा। सनातन धर्म में किसी भी शुभ अथवा मांगलिक कार्य जैसे विवाह आदि में सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा-आराधना की जाती है। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि विघ्नहर्ता मंगल करता पार्वती नंदन भगवान गणेश को स्वयं दो विवाह करने पड़े थे।
रिद्धि और सिद्धि को भगवान गणेश की पत्नियां माना जाता है। ये दो देवियां धन, समृद्धि और मानसिक शांति का प्रतीक मानी जाती हैं। आज यहां हम आपको गणेशजी के विवाह से जुड़ी रोचक पौराणिक कथा के बारे में बताने जा रहे हैं….
हिन्दू धर्म के अनुसार भगवान गणेश को सभी देवताओं के बीच ज्ञान, बुद्धि और समृद्धि का देवता माना जाता है। इनके विवाह को लेकर एक रोचक पौराणिक कथा है। कथा के अनुसार एक बार भगवान शिव और माता पार्वती ने भगवान गणेश के विवाह की बात चलाई। लेकिन, भगवान गणेश की अद्वितीय शक्ल-सूरत के कारण कोई भी लड़की उनसे विवाह करने के लिए तैयार नहीं हो रही थी। इस बीच, उनके भाई भगवान कार्तिकेय का विवाह हो गया, जिससे भगवान गणेश के विवाह को लेकर और भी चिंता बढ़ गई।
भगवान शिव और माता पार्वती ने सोचा कि उनके पुत्र के लिए योग्य पत्नि ढूंढ़नी चाहिए, लेकिन यह भी विचार किया कि कोई साधारण कन्या भगवान गणेश जैसे महादेवता के योग्य नहीं होगी। तब भगवान ब्रह्मा ने इस समस्या का समाधान निकाला। उन्होंने अपनी मानस शक्तियों से दो दिव्य कन्याओं को उत्पन्न किया, जिन्हें रिद्धि और सिद्धि कहा गया। रिद्धि धन और समृद्धि का प्रतीक मानी गईं, जबकि सिद्धि सफलता और बुद्धिमत्ता का। भगवान ब्रह्मा ने उन्हें भगवान गणेश को अर्पित किया और दोनों का विवाह भगवान गणेश के साथ कर दिया गया।
रिद्धि धन, ऐश्वर्य और समृद्धि की देवी मानी जाती हैं। गणेशजी के साथ उनकी उपस्थिति यह दर्शाती है कि जो व्यक्ति गणेशजी की उपासना करता है, उसे न केवल बुद्धि और ज्ञान प्राप्त होता है, बल्कि जीवन में समृद्धि और भौतिक सुख भी प्राप्त होते हैं। सिद्धि को सफलता और मानसिक शांति की देवी माना जाता है। गणेशजी की उपासना से व्यक्ति को जीवन में सफलता मिलती है और उसे किसी भी कार्य में सफलता प्राप्त करने की शक्ति मिलती है। भगवान गणेश के साथ रिद्धि और सिद्धि की उपस्थिति यह दर्शाती है कि गणेशजी की कृपा से व्यक्ति को जीवन में समृद्धि (रिद्धि) और सफलता (सिद्धि) दोनों मिलती हैं।
गणेशजी को ‘विघ्नहर्ता’ और ‘संकटमोचन’ भी कहा जाता है। वे न केवल विघ्नों का नाश करते हैं, बल्कि जीवन में सुख-शांति और उन्नति भी लाते हैं। शास्त्रों को अनुसार भगवान गणेश की पूजा, ध्यान, स्मरण और मंत्रों का जप करने से जातकों को जीवन में ज्ञान, सफलता, धन और समृद्धि यानी रिद्धि और सिद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
लेखिका- सीमा कुमारी