गणेश चतुर्थी व्रत के दिन जरुर पढ़े कथा (सौ.सोशल मीडिया)
Ganesh Chaturthi katha : 27 अगस्त से बुद्धि एवं शुभता के देव भगवान गणेश को समर्पित जन्मोत्सव यानी गणेश चतुर्थी का महापर्व शुरू होने जा रहा है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, हर साल भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को भगवान गणेश जी का जन्म हुआ था। इसी दिन से गणेश चतुर्थी का उत्सव शुरू होता है जो 10 दिनों तक चलता है।
वहीं, इसका समापन अनंत चतुर्दशी को होता है। मान्यता है कि गणेश चतुर्थी की पूजा के दौरान व्रत कथा का पाठ करने से जीवन की सभी समस्या से छुटकारा मिलता है। आइए जानते हैं गणेश चतुर्थी व्रत कथा।
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार नदी किनारे मां पार्वती महादेव के संग बैठी थीं। तभी उन्होंने चौपड़ खेलने की इच्छा जताई, लेकिन उनके अलावा कोई तीसरा नहीं था, जो चौपड़ के खेल के दौरान हार और जीत का निर्णय करे।
इस स्थिति में महादेव और मां पार्वती ने एक मिट्टी का बालक बनाया और उसे प्राण दिए और उसे खेल में हार-जीत का फैसला करने का निर्देश दिया। इसके बाद खेल में मां पार्वती लगातार तीन से चार बार विजयी हुईं, लेकिन एक बार बालक ने गलती से महादेव को विजयी घोषित कर दिया। ऐसे में मां पार्वती को क्रोध आ गया।
इसके पश्चात मां पार्वती ने उस बालक को लंगड़ा बना दिया। बालक ने अपनी गलती की माफी मांगी, लेकिन मां पार्वती ने कहा कि श्राप अब वापस नहीं लिया जा सकता। ऐसे में आप एक उपाय के जरिए इस श्राप से मुक्ति पा सकते हैं।
उन्होंने कहा कि संकष्टी के दिन कुछ कन्याएं पूजन के लिए आती हैं, उनसे व्रत और पूजा की विधि पूछना। बालक ने ठीक ऐसा ही किया और उसकी उपासना से गणपति बप्पा प्रसन्न हो जाते हैं और उसकी जीवन के सभी संकटों को दूर कर देते हैं।
आपको बता दें, पंचांग के अनुसार, गणेश चतुर्थी 2025 में 27 अगस्त 2025, बुधवार को मनाई जाएगी। इस दिन भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि होगी। चतुर्थी तिथि 26 अगस्त 2025 को दोपहर 1:55 बजे शुरू होगी और 27 अगस्त 2025 को शाम 4:32 बजे समाप्त होगी। गणेश उत्सव 27 अगस्त से शुरू होकर 6 सितंबर 2025 को अनंत चतुर्दशी के दिन विसर्जन के साथ खत्म होगा।
गणेश चतुर्थी की पूजा के लिए सबसे शुभ समय मध्याह्न काल होता है, क्योंकि मान्यता है कि भगवान गणेश का जन्म मध्याह्न में हुआ था। हिंदू पंचांग के अनुसार, दिन को पांच हिस्सों में बांटा जाता है।
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इसमें प्रातःकाल, सङ्गव, मध्याह्न, अपराह्न और सायंकाल होते हैं। इसमें मध्याह्न काल को गणेश पूजा के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है। 2025 में गणेश चतुर्थी पर कई शुभ मुहूर्त हैं, जिनमें आप मूर्ति स्थापना कर सकते हैं।