
Krishna Katha जो आपके लिए होगी खास। (सौ. AI)
Samba Curse By Krishna: भगवान श्रीकृष्ण के जीवन से जुड़ी कई ऐसी कथाएं हैं, जिनमें गहराई भी है और रहस्य भी। इन्हीं में से एक रोचक रहस्य उनके पुत्र सांबा से जुड़ा है। कहा जाता है कि गुस्से में भगवान कृष्ण ने अपने ही पुत्र को कोढ़ी होने का कठोर श्राप दे दिया था। इस श्राप और इससे जुड़ी पूरी कथा आज भी लोगों में उत्सुकता पैदा करती है।
कथाओं के अनुसार, कृष्ण के श्राप से मुक्ति पाने के लिए सांबा ने सूर्य देव की कठोर तपस्या की थी। बताया जाता है कि इसी तपस्या के लिए उन्होंने सूर्य मंदिर का निर्माण करवाया था, जो आज पाकिस्तान के मुल्तान में स्थित है। इस मंदिर को आदित्य मंदिर के नाम से भी जाना जाता है और यह सूर्य उपासना के प्राचीन केंद्रों में से एक माना जाता है।
भगवान श्रीकृष्ण की कई रानियां थीं, जिनमें से एक थीं जामवंत की पुत्री जामवंती। दोनों के विवाह के पीछे भी एक अनोखी कहानी जुड़ी है। पुराणों में वर्णन है कि एक बहुमूल्य मणि की प्राप्ति को लेकर श्रीकृष्ण और जामवंत के बीच लगातार 28 दिनों तक युद्ध चला था। जब युद्ध के अंत में जामवंत ने कृष्ण के दिव्य स्वरूप को पहचान लिया, तो उन्होंने न केवल वह मणि सौंप दी, बल्कि अपनी कन्या जामवंती का विवाह भी कृष्ण से करा दिया। कृष्ण और जामवंती से उत्पन्न पुत्र का नाम ही सांबा था।
कहा जाता है कि सांबा अत्यंत आकर्षक और मनमोहक व्यक्तित्व वाला युवक था। उसकी सुंदरता का प्रभाव केवल सामान्य लोगों पर ही नहीं, बल्कि कृष्ण की पटरानियों पर भी पड़ता था। कथाओं में वर्णन है कि एक दिन कृष्ण की एक रानी सांबा की सुंदरता से प्रभावित होकर उसकी पत्नी का रूप धारण कर उसे आलिंगन में भर लेती है। उसी समय श्रीकृष्ण वहां पहुंच जाते हैं और इस दृश्य को देखकर क्रोधित हो उठते हैं। क्रोधवश कृष्ण सांबा को श्राप देते हैं कि वह कोढ़ से पीड़ित होगा।
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श्राप से मुक्ति का उपाय बताते हुए महर्षि कटक ने सांबा को सूर्य देव की उपासना करने का निर्देश दिया। महर्षि के बताए मार्ग का अनुसरण करते हुए सांबा ने चंद्रभागा नदी के तट पर मित्रवन क्षेत्र में सूर्य देव का एक भव्य मंदिर बनवाया और 12 वर्षों तक कठोर तपस्या की।
कथानुसार, तपस्या से प्रसन्न होकर सूर्य देव ने सांबा को चंद्रभागा नदी में स्नान करने को कहा। कहा जाता है कि स्नान करते ही सांबा को कोढ़ से मुक्ति मिल गई। आज भी यह नदी कोढ़ ठीक करने वाली पवित्र नदी मानी जाती है और लोगों का विश्वास है कि यहां स्नान करने से त्वचा रोगों में लाभ मिलता है।






