उल्टा स्वास्तिक(सौ.सोशल मीडिया)
Importance Of Ulta Swastik: हिन्दू धर्म में किसी भी शुभ अवसर पर घर में स्वास्तिक का चिह्न बनाना बहुत शुभ माना जाता है। चाहे व्रत हो, पूजा या फिर हवन, स्वास्तिक बनाए बिना वह शुभ कार्य अधूरा माना जाता है। मान्यता है कि घर में स्वास्तिक का चिह्न बनाने से घर में सुख-शांति लाता है। हालाँकि, कुछ जगहों पर आपने उल्टा स्वस्तिक भी बना देखा होगा। इसका क्या है? अर्थ और इसे क्यों बनाया जाता है? आइए जानते है इस बारे में-
ज्योतिषयों के अनुसार, उल्टा स्वास्तिक बनाने की परंपरा का संबंध मनोकामनाओं की पूर्ति और प्रार्थना प्रार्थनाओं से है। इसे मनोकामना या समस्या समाधान के लिए व्यक्ति द्वारा किसी तीर्थ स्थल, मंदिर और अन्य किसी दैवी स्थान पर बनाया जाता है। इससे नकारात्मक ऊर्जा के प्रभाव को दूर किया जा सकता है।
उल्टा स्वास्तिक विशेषकर तब बनाया जाता है जब व्यक्ति किसी कठिनाई से जूझ रहा होता है। जब कोई व्यक्ति अपनी मनोकामना पूर्ण होने के बाद फिर से उसी स्थान पर जाकर सीधा स्वास्तिक बनाता है तो ये देवी-देवताओं का आभार व्यक्त करना माना जाता है।
घर में उल्टा स्वास्तिक बनाने से पूजा का फल नहीं मिलता है और इसे अशुभ माना जाता है। घर में स्वास्तिक को हमेशा साफ और सटीक बनाना चाहिए। उल्टा स्वास्तिक केवल उन स्थानों पर बनाया जाता है जहां की धार्मिक मान्यता होती है जैसे कि मंदिर या प्राचीन तीर्थ स्थल।
स्वास्तिक को जब भी बनाए तो इसे घर-संसार की सुख और समृद्धि की कामना से बनाए। स्वास्तिक का मुख्य उद्देश्य नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति पाकर सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करने का होता है। स्वास्तिक से धन और ऐश्वर्य की प्राप्ति भी होती है।
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अगर आप किसी पवित्र धार्मिक स्थल पर उल्टा स्वस्तिक बनाने जा रहे हैं, तो उसे हमेशा साफ़-सुथरी और सुंदर जगह पर बनाएँ। साथ ही, उल्टा स्वस्तिक ऐसी जगह बनाएँ जहाँ गंदगी न हो, जहाँ किसी ने पैर न रखा हो।
इसके अलावा, जब आपकी मनोकामना पूरी हो जाए, तो उसी जगह सीधा स्वस्तिक बनाना न भूलें। अगर आप ऐसा नहीं करते हैं, तो आपके घर मुसीबत आने में देर नहीं लगेगी।