चार धामों का महत्व (सौ. डिजाइन फोटो)
Chardham Yatra 2025: उत्तराखंड के चार धामों की यात्रा की शुरूआत आने वाले 30 अप्रैल से होने वाली है। इस धार्मिक यात्रा में शामिल होने के लिए बड़ी संख्या में भक्त पहुंचते है और चार धामों का आशीर्वाद पाते है। यहां पर चारों धाम में यमुनोत्री, गंगोत्री, बद्रीनाथ, केदारनाथ के दर्शन होते है। क्या आप जानते है इन चारों धाम में किन देवी-देवताओं की पूजा की जाती है वहीं पर इन चारों जगहों पर आरती का समय कब से कब तक रहता है। चलिए जानते है इसके बारे में…
यहां पर चारों धाम में शामिल एक-एक धाम का अलग महत्व होता है और पूजा का भी महत्व होता है चलिए जानते है सबकुछ…
1- यमुनोत्री से शुरु होती है चारधाम यात्रा
यहां पर चार धाम यात्रा की शुरूआत इस धाम यमुनोत्री से मानी गई है। यानि चार धाम की य़ात्रा के लिए आने वाले भक्त सबसे पहले यमुनोत्री पहुंचते है। यमुनोत्री मंदिर में माता यमुना की पूजा की जाती है जिनकी संगमरमर की मूर्ति विराजमान है। यहां पर आने वाले भक्तों को 6 किलोमीटर की पैदल यात्रा करनी होती है। यमुनोत्री के मंदिर में दर्शन करने के साथ मुख्य आकर्षण सूर्य कुंड, तप्त स्नान कुंड, सप्तऋषि कुंड और खरसाली का शनि मंदिर भी है। इस मंदिर में आरती का समय सुबह 6:30 से 7:30 बजे तक, संध्या शयन आरती सांय 6:30 से 7:30 बजे तक होती है।
2- गंगोत्री में होती है मां गंगा की पूजा
चार धाम यात्रा में दूसरा धाम हम गंगोत्री पहुंचते है यह भी काफी महत्व रखने वाला तीर्थ धाम है। गंगोत्री धाम में माता गंगा की पूजा की जाती है। इस मंदिर की वास्तुकला देखने लाक है तो वहीं इस मंदिर का निर्माण संगमरमर हुआ है। यहां पर मंदिर में दर्शन करने के अलावा आप कालिंदी खल ट्रेक, मनेरी, गौमुख, जल में स्थित शिवलिंग, हर्षिल, दयारा बुग्याल और पंतगिनी पास ट्रेक में आप घूमने के लिए एक्सप्लोर कर सकते है। इस मंदिर में आरती का समय प्रात: कालीन आरती सुबह 6 बजे, संध्या आरती सांय 7 बजे निर्धारित किया गया है।
3- केदारनाथ में होती है भगवान शिव की पूजा
भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक केदारनाथ धाम है जिसे भी चार धामों में शामिल किया गया है। इस केदारनाथ धाम में भगवान शिव की आराधना की जाती है। कहते हैं कि, इस मंदिर का निर्माण पांडवों ने किया था तो वहीं बताया जाता है कि, आदिगुरु शंकराचार्य ने इसका जीर्णोधार करवाया। कहते हैं कि, चार धाम की यात्रा बिना केदारनाथ धाम की यात्रा किए नहीं पूरी होती है। कहते हैं कि, केदारनाथ की यात्रा करने से आपको शुभ फल की प्राप्ति होती है। इस मंदिर में आरती के समय की बात की जाए तो, प्रात: कालीन आरती और महाभिषेक सुबह 4 बजे, संध्या शयन आरती सांय 7 बजे की जाती है।
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4-बद्रीनाथ में होती है भगवान विष्णु की पूजा
यहां पर चार धाम की अंतिम यात्रा होती है इसका नाम है बद्रीनाथ धाम। यात्रा के अंतिम पड़ाव यानि बद्रीनाथ धाम में भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। बताया जाता है कि, इस धाम में शालिग्राम पत्थर से बनी भगवान विष्णु की स्वयंभू मूर्ति स्थापित है। इस धाम को लेकर पौराणिक कथा प्रचलित है जो कहती है कि, सतयुग के दौरान भगवान विष्णु ने इस स्थान पर नारायण रूप में तपस्या की थी। इस धाम में मंदिर में आरती का समय प्रात: कालीन पूजा- प्रात: 4:30 बजे से 6:30 बजे तक, दिन की पूजा और संध्या आरती-सुबह 7:30 से दोपहर 12 बजे तक, दोपहर 3 बजे से शाम 6 बजे तक की जाती है।