
आरती करते समय इन बातों का रखें ध्यान। (सौ. Freepik)
Direction of Aarti: धार्मिक ग्रंथों में आरती को पूजा का सबसे पवित्र और अंतिम चरण माना गया है, लेकिन कई बार एक छोटी-सी गलती पूजा के संपूर्ण फल को प्रभावित कर देती है। सबसे आम गलती है आरती की थाली को गलत दिशा में घुमाना। क्या आप जानते हैं कि आरती हमेशा दक्षिणावर्त दिशा में ही घुमानी चाहिए? इसके पीछे केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि वैज्ञानिक और ऊर्जात्मक रहस्य भी छिपे हैं।
आरती केवल एक रस्म नहीं, बल्कि ईश्वर के प्रति समर्पण और कृतज्ञता का सर्वोच्च भाव है। थाली घुमाते समय अपनाई गई दिशा आपके वातावरण और ऊर्जा दोनों को प्रभावित करती है।
ब्रह्मांड में ऊर्जा का प्रवाह मुख्यतः दक्षिणावर्त दिशा में होता है।
इसलिए जब आरती की थाली दक्षिणावर्त घुमाई जाती है, तो यह ब्रह्मांडीय ऊर्जा से सामंजस्य स्थापित करती है।
धार्मिक मत के अनुसार, दक्षिणावर्त दिशा में आरती घुमाने से एक शक्तिशाली सकारात्मक ऊर्जा क्षेत्र बनता है। यह ऊर्जा वातावरण को शुद्ध करती है, मन को शांत करती है, और भक्त की आंतरिक ऊर्जा को संतुलित करती है।
दक्षिणावर्त गति से उत्पन्न स्पंदन सीधे भक्त की ओर आकर्षित होते हैं, जिससे आध्यात्मिक ऊर्जा में वृद्धि होती है और पूजा अधिक फलदायी मानी जाती है।
हिन्दू धर्म में देवता की परिक्रमा हमेशा दक्षिणावर्त दिशा में की जाती है। आरती उसी प्रदक्षिणा का सूक्ष्म रूप है। जब हम आरती की थाली दक्षिणावर्त घुमाते हैं, तो यह देवता के प्रति परिक्रमा के भाव को पूरा करता है।
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दक्षिणावर्त गति जन्म, जीवन, मृत्यु और मोक्ष के चक्र का प्रतीक है। यह बताती है कि हर जीवात्मा का अस्तित्व ईश्वर के इर्द-गिर्द घूमता है और अंततः उन्हीं में विलीन हो जाता है।
आरती की दिशा केवल परंपरा नहीं बल्कि गहन धार्मिक, ऊर्जा आधारित और वैज्ञानिक सिद्धांतों पर आधारित है। इसलिए अगली बार आरती करते समय यह ध्यान रखें आरती की थाली को हमेशा दक्षिणावर्त दिशा में ही घुमाएँ, क्योंकि यही पूजा को पूर्ण और फलदायक बनाती है।






